आरबीआई की एमपीसी ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन बैंक चुनिंदा तरीके से डिपॉजिट और लेडिंग रेट्स में बढ़ोतरी कर रहे हैं। बैंकिंग इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि बैंक कॉस्ट ऑफ डिपॉजिट में बढ़ोतरी का बोझ हाई एमसीएलआर रेट्स के रूप में बोरोअर्स पर डाल रहे हैं। यानी एक तरफ वे लोन की दरें बढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर एफडी पर रेट बढ़ा रहे हैं। इंटरेस्ट रेट मार्केट की समस्या यह है कि डिपॉजिटर्स सेविंग अकाउंट्स पर पर्याप्त ब्याज नहीं देने के लिए बैंकों को दंडित कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दिसंबर 2024 में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।