कैपिटल गेन टैक्स का अर्थ समझ लेने के बाद आप समझिए कि इसके दो रूप हैं। यह तय होता है कि शेयर खरीदने के बाद उसे आपने अपने पास कितने दिनों तक रखा। किसी शेयर को खरीदने के बाद उसे आप 12 महीने से अधिक अवधि के लिए रखते हैं तो वह लॉन्ग टर्म माना जाएगा। इस पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा। यदि आपने शेयर को 12 महीने या उससे कम अवधि के लिए रखा तो उसे शॉर्ट टर्म माना जाएगा। इसलिए इस पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
आप समझ गए कि शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म क्या है। अब आप इस पर लगने वाले टैक्स का रेट भी समझ लीजिए। यदि आप शार्ट टर्म के लिए शेयर अपने पास रखते हैं तो आपको मुनाफे पर 20 फीसदी का टैक्स चुकाना होगा। बीते 23 जुलाई से पहले इस टैक्स की रेट 15 फीसदी थी। बजट 2024-25 के जरिये इसे बढ़ा कर 20 फीसदी कर दिया गया। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर पहले 10 फीसदी का टैक्स का लगता था, जिसे बजट में बढ़ा कर 12.5 फीसदी कर दिया गया।
मान लीजिए कि मोनिका ने मई 2021 में एसबीआई का 500 शेयर 350 रुपये के भाव पर खरीदा। दो साल से भी ज्यादा समय तक उसे अपने पास रखने के बाद उसने 800 रुपये के भाव पर एसबीआई का शेयर बेच दिया। इस तरह से उन्होंने इस खरीद-बिक्री में कुल 2,25,000 का मुनाफा कमाया। चूंकि उन्होंने शेयरों की बिक्री दो साल के बाद की, इसलिए यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। नियमानुसर उसे 1.25 लाख रुपये के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। शेष बचे एक लाख रुपये। तो इस रकम पर उन्हें 12.5 फीसदी का टैक्स देना होगा। मतलब कि उन्हें 12,500 रुपये का टैक्स चुकाना होगा।
डिविडेंड पर टैक्स
जब कोई कंपनी अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरहोल्डरों को वितरित करने का फैसला करती है, तो उसे ही डिविडेंड कहा जाता है। यदि कोई शेयरहोल्डर कंपनी से डिविडेंट ले रहा है तो उसे उस आमदनी पर टैक्स चुकाना होगा। हालांकि, आपको जितना डिविडेंड मिला, उसे आपके टैक्सेबल इनकम में जोड़ दिया जाएगा। फिर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगाया जाएगा। अगर आप 10 फीसदी के टैक्स स्लैब में आते हैं तो डिविडेंट इनकम पर इतना ही टैक्स देना होगा। यदि आप 30 फीसदी के ब्रैकेट में आते हैं तो आपको 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। यदि आपकी आमदनी टैक्स फ्री वाले स्लैब में है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।