Aekom Legal के जॉइंट मैनेजिंग पार्टनर एनपीएस चावला ने कहा कि आईबीसी की धारा 12ए के तहत लेनदारों की समिति के 90% वोटिंग शेयर की मंजूरी से एनसीएलटी के आदेश द्वारा दिवालियापन कार्यवाही वापस ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि लेनदारों की समिति का गठन नहीं किया गया है, तो लेनदारों की 90% स्वीकृति की आवश्यकता को भी समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए मूल आवेदक को अंतरिम समाधान पेशेवर के माध्यम से फॉर्म एफए दाखिल किया जा सकता है। कंपनी ने पिछले नवंबर में बैंकों को एकमुश्त निपटान प्रस्ताव दिया था। लेकिन लेनदारों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि तब कंपनी के पास पैसे नहीं थे।