बायर्स की भी बढ़ी टेंशन
जेपी ग्रुप की मदर कंपनी जेपी एसोसिएट्स के दिवालिया प्रक्रिया में जाने में जेपी इंफ्राटेक में फंसे 22 हजार बायर्स की विलंब शुल्क की देनदारी भी फंस सकती है। 2013 तक फ्लैट देने की डेडलाइन पूरी न होने पर बायर्स ने यह शुल्क कंपनी से मांगा था जिसे कोर्ट ने मदर कंपनी यानि जेपी असोसिएट्स की ओर से दिए जाने का आदेश दिया था।22 हजार बायर्स का करीब 6-7 हजार करोड़ का विलंब शुल्क जेपी असोसिएट्स पर बनता है। अधिकांश बायर्स का 2-6 लाख तक का विलंब शुल्क मदर कंपनी को देना था। क्योंकि अलॉटमेंट लेटर बायर्स को जेपी असोसिएट्स की ओर से दिए गए थे और बायर्स का पैसा जेपी इंफ्राटेक में लिया गया था। इस कंपनी के दिवालिया में जाने से हम जेपी इंफ्राटेक में फंसे बायर्स की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।