अजीम प्रेमजी के दादा चावल के कारोबार से जुड़े थे। उनके पिता मोहम्मद हुसैन प्रेमजी ने भी पिता के कारोबार को आगे बढ़ाया। चावल के कारोबार में बहुत मुनाफा नहीं हो रहा था। घाटा बढ़ता जा रहा था। पिता की मौत के बाद जब उन्होंने कारोबार संभाला तो कई और बिजनस में हाथ अजमाया। साल 1977 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (Wipro) कर दिया। आज विप्रो देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है।
सफलता पाने के लिए पॉजीटिव सोचना भी जरूरी है। अजीम प्रेमजी के मुताबिक, सफलता दो बार मिलती है। एक बार आपके दिमाग में और दूसरी बार असली दुनिया में। वह शिक्षा पर बहुत ध्यान देते हैं। वह कहते हैं कि देश में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता शिक्षा ही है।
अजीम प्रेमजी ने 1980 में ही समझ लिया था कि भारत में आईटी फील्ड किस कदर आगे बढ़ने वाली है। उन्होंने तकनीक और कम्प्यूटिंग सेक्टर के हिसाब से अपनी कंपनी को ढाल दिया। अजीम प्रेमजी हमेशा लक्ष्य बनाकर काम करते हैं। जीवन में सफल होने के लिए सही और बड़े लक्ष्य बनाना जरूरी है।
अजीम प्रेमजी के मुताबिक, अगर आपको सफल होना है तो अपने से ज्यादा सफल लोगों के बीच रहें। उनके मुताबिक, अपने से ज्यादा लोगों के बीच काम करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। यही आत्मविश्वास ही लीडरशिप है।
अजीम प्रेमजी के मुताबिक, अगर आपको सफल होना है तो अपने से ज्यादा सफल लोगों के बीच रहें। उनके मुताबिक, अपने से ज्यादा लोगों के बीच काम करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। यही आत्मविश्वास ही लीडरशिप है।