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पीएम नरेंद्र मोदी से इतना चिढ़ता क्यों हैं यह अमेरिकी बिजनसमैन, जान लीजिए पूरी कुंडली

Updated on 01-09-2023 02:27 PM
नई दिल्ली: अमेरिका के अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस (George Soros) एक बार फिर चर्चा में हैं। उनके सपोर्ट वाली नॉन प्रॉफिट मीडिया संस्था OCCRP ने भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) और अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) पर निशाना साधा है। उसकी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयर खरीदकर लाखों डॉलर का निवेश किया। OCCRP ने एक अन्य रिपोर्ट में वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल पर देश के पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए गुपचुप तरीके से लॉबिंग करने का आरोप लगाया है। 92 साल के सोरोस की पहचान एक ऐसे शख्स की रही है जो दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए अपना एजेंडा चलाता है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की नीतियों का भी धुर आचोलक माना जाता है।

जॉर्ज सोरोस अमेरिका के बड़े कारोबारियों में से एक हैं। लेकिन उनकी छवि काफी विवादित रही है। वह सटोरिए, निवेशक और कारोबारी हैं लेकिन खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता कहलाना पसंद करते हैं। उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है। आरोप है कि उन्होंने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए खुलकर भारी-भरकम फंडिंग की है। यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाकर पाबंदी लगा दी गई है। आरोप है कि सोरोस दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसे के जोर पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं।

मोदी के धुर आलोचक

सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के धुर आलोचक माने जाते हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। सोरोस ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संसोधन कानून (CAA) का भी खुलकर विरोध किया था। जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी में अडानी के खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी तो सोरोस काफी मुखर हो गए थे। उन्होंने कहा कि अडानी का पीएम मोदी के साथ इतना घनिष्ठ संबंध है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हो गए हैं। सोरोस ने कहा था, 'इस मुद्दे पर मोदी चुप हैं लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद के सवालों का जवाब देना पड़ेगा। इससे केंद्र सरकार पर मोदी की पकड़ ढीली होगी और संस्थागत सुधारों के दरवाजे खुलेंगे।'

सोरोस का जन्म साल 1930 में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में पैदा हुआ। साल 1947 में वह अपने परिवार के साथ लंदन आ गए। परिवार को पालन-पोषण करने के लिए उन्होंने कुली और वेटर के तौर पर काम किया। इसी से पैसा जुटाकर उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में पढ़ाई की। साल 1956 में वह लंदन से अमेरिका चले गए और वहां फाइनेंस तथा इन्वेस्टमेंट सेक्टर में काम किया। साल 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट के नाम से कंपनी बनाई। इसके बाद उन्होंने अमेरिकी शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना शुरू किया और अगले 6 साल में करोड़पति बन गए।

सोरोस पर आरोप

जॉर्ज सोरोस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर साल 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को तबाह कर खुद की जेब भरने का आरोप लगा। ब्रिटेन को तब ब्लैक वेंजडे का सामना करना पड़ा था जिसमें सोरोस ने एक अरब डॉलर की कमाई की थी। अपनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की मदद से वह करीब 100 देशों में सक्रिय हैं। आरोप है कि जॉर्ज बुश को हराने के लिए उन्होंने 125 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया कंपनी फॉक्स न्यूज को बर्बाद करने के लिए 10 लाख डॉलर लगा दिए थे। इसी तरह ब्रेक्जिट के खिलाफ अभियान चलाने में चार लाख पाउंड खर्च कर दिए। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को ठग कहा था।

सोरोस ने 2020 में स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) में मोदी, ट्रंप, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को तानाशाह कहा था। उनका कहना था कि ये सभी नेता अपने-अपने देशों में लोकतंत्र का गला घोंटकर तानाशाही का बढ़ावा दे रहे हैं। मोदी को लेकर उन्होंने कहा कि वह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। ट्रंप को उन्होंने ठग और आत्ममुग्ध जबकि पुतिन को तानाशाह शासक कहा था। सोरोस ने कहा था कि जिनपिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की परंपरा तोड़कर सत्ता की पूरी कमान अपने हाथों में ले ली है।

कैसे कमाया पैसा

सोरोस पर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने अनैतिक तरीकों से पैसा बनाया है। वर्ष 2002 में फ्रांस की अदालत ने सोरोस को अनैतिक और अनधिकृत व्यापार का दोषी पाया था। इसके लिए फ्रेंच कोर्ट ने सोरोस पर 23 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया था। जब उन्होंने फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी तो उसने भी सोरोस का जुर्माना बरकरार रखा। इसी तरह उन पर अमेरिका में भी बेसबॉल में पैसा लगाकर अनैतिक तरीके से पैसे बनाने का आरोप लगा। इटली की फुटबॉल टीम एएस रोमा को लेकर भी सोरोस विवादों में आए। सोरोस ने अपनी मां को आत्महत्या करने में मदद की थी। इस बात का खुलासा उन्होंने ही साल 1994 में किया था।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोरोस ने दुनियाभर में कई मीडिया कंपनियों में निवेश किया है। अमेरिका का मीडिया वॉचडॉग मीडिया रिसर्च सेंटर की मानें तो सोरोस ने 180 से अधिक मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस को स्पॉन्सर किया है। अमेरिका में उनका 30 से अधिक मीडिया आउटलेट्स में उनका डायरेक्ट निवेश है। इसमें न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट, एपी, सीएनएन और एबीसी शामिल हैं। अडानी और अग्रवाल पर आरोप लगाने वाली संस्था OCCRP के सपोटर्स में ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस शामिल हैं। ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस को सोरोस को सपोर्ट हासिल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोरोस ने फरवरी 2008 में रिलायंस एंटरटेनमेंट में तीन परसेंट हिस्सेदारी 10 करोड़ डॉलर में खरीदी थी। इससे पहले उन्होंने दिसंबर 2007 में सनटीवी नेटवर्क में 0.5 फीसदी हिस्सेदारी ली थी।


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