बेंगलुरु की चुप्पी राजगीर में क्यों टूटी? विपक्षी बैठक से नीतीश कुमार इसलिए अचानक लौटे बिहार
Updated on
21-07-2023 03:45 PM
पटना: बेंगलुरु में विपक्षी एकता की बैठक से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के अचानक बिहार लौटने पर चर्चाओं का दौर जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रत्यक्ष रूप से भले कह रहे हों कि वो राजगीर में मलमास मेले का उद्घाटन करने की वजह से वापस लौटे। दरअसल, बेंगलुरु में बैठक के बाद नीतीश प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले ही राजगीर (Bihar Politics) के लिए रवाना हो गए थे। नीतीश कुमार ने भले ही पूरे मामले में अपना वक्तव्य रख दिया लेकिन उनका चेहरा इसे सपोर्ट नहीं कर रहा था। असल वजह क्या रही होगी यह तो नीतीश कुमार जानें पर उनके साथ राजनीति कर रहे नेता या उनसे जुड़े पत्रकारों की इसे लेकर अलग राय है। उन्हें मुख्यमंत्री का ये कमेंट इमेज बचाव वाले बयान से ज्यादा कुछ नहीं लगा। ऐसा कहने के कई कारण हैं। एक-एक कारणों पर विस्तार से बात करते हैं ।
कांग्रेस का सुपरबॉस का आचरण
जब शिमला की बैठक बेंगलुरु शिफ्ट की गई तब ही राजनीतिक विश्लेषक यह कहना शुरू कर दिए थे कि नीतीश कुमार को इसका विरोध करना चाहिए था। हालांकि तब नीतीश कुमार पटना में विपक्षी दलों की बैठक से काफी उत्साहित थे। उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी कि कांग्रेस इस पूरे प्लान को हाईजैक करना चाहती है। और हुआ भी यही। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बड़ी सूक्ष्मता से नीतीश की तैयार जमीन पर अपना अधिपत्य जमा लिया। कांग्रेस का पंजा कैसे धीरे-धीरे फैला।
1. बड़े सुलझे अंदाज में नीतीश की ओर से पेश राजनीतिक प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।
2. महागठबंधन के नाम को लेकर भी नीतीश कुमार की एक न चली। नीतीश कुमार चाहते थे कि नाम में भारत शब्द जरूर रहे। पर इस सुझाव को भी ठुकरा दिया गया और इंडिया नाम पर सहमति बनाई गई। नाम के चयन में वाम दल की भूमिका अहम दिखी। इंडिया के फुल फॉर्म का जब उच्चारण करते हैं तो वाम की महक झलकती है।
3. न तो कमिटी बनी और न ही नीतीश कुमार को संयोजक बनाने को लेकर बेंगलुरु में चर्चा ही हुई। कांग्रेस ने बड़ी सलीके से अगली बैठक मुंबई के लिए सुनिश्चित कर शरद पवार के लिए दरवाजा खोल डाला।
कार्यक्रम की रूपरेखा पहले तैयार हो जाती है
कांग्रेस काफी पुरानी, अनुभवी और जिम्मेदार पार्टी है। इसलिए बैठक को लेकर मिनट टू मिनट प्लानिंग पहले ही बना ली गई होगी। बैठक को लेकर सिटिंग प्लान, प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर बेंच प्लान भी तैयार रहा होगा। कौन कहां बैठेगा और किस क्रम में बोलेगा। राजनीतिक गलियारों में कहा यह जा रहा कि एक तो बैठक में तवज्जों नहीं दिया गया। न इनके राजनीतिक प्रस्ताव, गठबंधन दल के नाम तक पर विचार नहीं किया गया। यह नीतीश कुमार की नाराजगी के लिए काफी थी। और जब पता चला कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नाम नहीं है तो, चार्टर प्लेन से गए थे और उसी से ही वापसी का प्लान कर लिया।
बेंगलुरु की चुप्पी राजगीर में क्यों टूटी?
राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार के पीसी से पहले लौटने पर हंगामा मचना ही था। ये माना जा रहा कि बैठक में जो कुछ भी निर्णय हुआ वह उनके अनुकूल नहीं रहा। यही वजह भी है कि नीतीश कुमार ने जो चुप्पी साधी वह न तो बेंगलुरु एयरपोर्ट पर टूटी और न ही पटना एयरपोर्ट पर। जब उनकी नाराजगी के चर्चे होने लगे तो बैठक के एक दिन बाद राजगीर में उनकी जुबान खुली। और खुली भी तो यह कि मलमास मेला के उद्घाटन के कारण जल्दी लौट आए। यह वक्तव्य उनके चेहरे के भाव से मैच भी नहीं कर रहा था
क्या कहते हैं उनके पुराने साथी सुशील मोदी
सुशील मोदी ने कहा कि फर्जी 'इंडिया' में सब कुछ ठीक नहीं है। बेंगलुरु से नीतीश कुमार नाराज होकर लौटे हैं। मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूं। उनका स्वभाव से भी वाकिफ हूं। संवाददाता सम्मेलन में शामिल नहीं करना, कन्वेनर नहीं बनाना आदि उनकी नाराजगी की वजह है। वहीं बीजेपी नेता ने कहा कि अब तो नीतीश कुमार की कन्वेनर बनना भी नहीं चाहिए। सो वहां जो दर्द मिला उसे नीतीश कुमार मुस्कुराहट से छिपा रहे हैं।
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ किया है वह राजनीतिक प्रकटीकरण है। वे सहज नहीं थे। नाराजगी की वजह भी थी। दलों को जोड़ने में जो मेहनत नीतीश कुमार ने की वह किसी दल के नेता ने नहीं की थी। हालांकि, कांग्रेस ने बेंगलुरु में पूरी मुहिम को हाईजैक कर लिया। इनके सुझाए प्रस्ताव और नाम तक पर नोटिस नहीं लिया गया। इसलिए उन्होंने चुप्पी साध ली। न तो पत्रकारों से बेंगलुरु में और न ही पटना में ही बात की। यही कहना था तो एक दिन बाद क्यों? बेंगलुरु में चलते-चलते कह देते मलमास मेले का उद्घाटन करने जा रहे हैं।
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