कौन थे वॉरेन बफे के गुरु जिनके शिष्यों ने बदल दी इनवेस्टमेंट की दुनिया
Updated on
05-09-2024 11:48 AM
भारत में शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लोग अब बैंकों में पैसा जमा करने के बजाय इसे इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स में लगा रहे हैं। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में इस प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे बैंकों के लिए अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। डिजिटल का यूज बढ़ने से खासकर देश के युवाओं में शेयर मार्केट में पैसा लगाने का क्रेज बढ़ रहा है। शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको शेयर मार्केट के ऐसे गुरुओं के बारे में बता रहे हैं जिन्हें दुनियाभर के लाखों निवेशक फॉलो करते हैं।
वॉरेन बफे को दुनियाभर के निवेशकों का महागुरु कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। बफे का जन्म 30 अगस्त 1930 को अमेरिका के नेब्रास्का में हुआ था। उन्होंने 11 साल की उम्र में पहला शेयर खरीदा था और 13 साल की उम्र में पहली बार टैक्स फाइल किया था। आज उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे का बिजनस कई क्षेत्रों में फैला है। इस साल कंपनी के मार्केट कैप में 200 अरब डॉलर की तेजी आई है। इसकी दुनिया की कई दिग्गज कंपनियों में हिस्सेदारी है जिनमें ऐपल और बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प शामिल हैं। दूसरी तिमाही में कंपनी के पास नकदी 276.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। बफे दुनिया के अमीरों की लिस्ट में सातवें नंबर पर हैं। उनका कहना है कि निवेश में जोखिम तभी होता है, जब आप नहीं समझ पाते कि क्या करना चाहिए। इसलिए निवेश सोच समझकर करें।
दुनियाभर के निवेशक वॉरेन बफे को अपना गुरु मानते हैं लेकिन बफे के गुरु बेंजामिन ग्राहम थे। ग्राहम को वैल्यू इनवेस्टिंग का फादर माना जाता है। इनमें ऐसे शेयरों की पहचान और खरीदारी की जाती है जो अपनी वैल्यू से कम परफॉर्म कर रहे हैं। 1920 के दशक में जब उन्होंने इनवेस्टिंग के नए तरीके ईजाद किए तो वे क्रांतिकारी साबित हुए। उनके शार्गिदों में बफे समेत कई दिग्गज और सफल निवेशक शामिल हैं। 1949 में आई उनकी किताब The Intelligent Investor आज भी सभी एसेट मैनेजर्स और स्टॉक ट्रेडर्स के लिए किसी पवित्र किताब से कम नहीं है।
चार्ली मुंगेर को वॉरेन बफे का दाहिना हाथ माना जाता था। बफे और मुंगेर ने मिलकर बर्कशायर को ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। मुंगेर का पिछले साल निधन हो गया। 1978 से 2023 तक वह बफे का राइट हैंड रहे। 1965 से 2023 तक बर्कशायर के शेयरों ने सालाना 19.8% रिटर्न दिया। मुंगेर के बारे में यह बात मशहूर थी कि वह बोलने से ज्यादा सुनना पसंद करते थे। उनके स्टॉक चुनने का अनुभव ऐसा था कि वह जिसे छू लेते थे वह सोना उगलने लगता था। साथ ही उन्होंने बफे को ऐसी कंपनियों में निवेश करने के लिए कहा जो काफी कैश जेनरेट करती थीं। सफलता मंत्र के बारे में वह कहते थे कि उनके पास इसका कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है। अगर आपको ऐसा कोई फॉर्मूला चाहिए तो वापस कॉलेज जाइए, वहां काफी फॉर्मूले सिखाए जाते हैं।
दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला को भारत का वॉरेन बफे और बिग बुल ऑफ इंडिया कहा जाता था। उनके निवेश के तरीकों ने देश में वेल्थ मैनेजमेंट को एक नई दिशा दी। उन्होंने हमें बाजार का सम्मान करना और निवेश की बारीकियों से रूबरू कराया। उनके निवेश की तरीकों में संयम और अनुशासन सबसे ऊपर था। झुनझुनवाला इस बात पर जोर देते थे कि आपको अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। वह मानते थे कि नाकामी ग्रोथ और इम्प्रूवमेंट के लिए बेहद जरूरी है। 5 जुलाई 1960 को जन्मे झुनझुनवाला ने 5000 रुपये लेकर शेयर मार्केट में एंट्री मारी थी। उनके बारे में कहा जाता था कि वह जिस चीज को छू लेते थे, वह सोना बन जाता था। झुनझुनवाला अब हमारे बीच नहीं हैं। 14 अगस्त 2022 को उनका निधन हो गया।
रतन टाटा को भला कौन नहीं जानता है। देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी के चेयरमैन रहे रतन टाटा आज भी कई स्टार्टअप कंपनियों को सहारा दे रहे हैं। टाटा ने अपनी पूरी संपत्ति का 65% हिस्सा चैरिटी में दे दिया है। हर मुनाफे पर वह इतना हिस्सा दान करते हैं। रतन टाटा का कहना है कि वह सही फैसले लेने में विश्वास नहीं रखते। वह जो फैसला लेते हैं उसे सही साबित करने की कोशिश करते हैं। रतन टाटा के मुताबिक, आप लोगों की ओर से फेंके गए पत्थरों से पहाड़ खड़ा कर सकते हैं। रतन टाटा का एक और सक्सेस मंत्र है। उनके मुताबिक, अगर आप तेज चलना चाहते हैं तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप लंबा चलना चाहते हैं तो साथ चलें।
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