मोदी का आशय था कि दिव्यांगों की सेवा, गो सेवा या ऐसा कोई काम जनप्रतिनिधियों को अपने हाथ में लेना चाहिए, जो समाज में अलग पहचान दे। एक विधायक से पीएम ने पूछा कि आपको पंडित दीनदयाल जी का कोई संस्मरण याद हो तो बताएं। एक विधायक से मोदी ने पूछा कि कुशाभाऊ ठाकरे कौन थे? नए विधायकों से उन्होंने सवाल किया कि अपने क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए आप क्या करते हैं। सबने अपनी-अपनी बात रखी।
सभागार में विधायक-सांसदों का टेबल इस तरह से तैयार किए गए थे कि मोदी मंच से उतरकर उनसे संवाद करेंगे, लेकिन पीएम मंच से नहीं उतरे। मोदी ने मंच से ही विधायकों से संवाद किया।
उन्होंने पूछा कि वे विधानसभा में किस तरह के मुद्दे उठाते हैं? प्रश्न कैसे करते हैं? कुछ विधायकों ने बताया कि पीएम ने हमारी कार्यप्रणाली जानने का प्रयास किया कि हम जनता के बीच काम कैसे करते हैं। सहज अंदाज में सभी से यह भी कह दिया कि जो बोला है, उसे दिल में ही रखना है और आत्मसात करना है।
बैठक में कुल 208 लोग मौजूद थे। 163 विधायक, 29 सांसद, आठ राज्यसभा सदस्य के अलावा पार्टी के कुछ ही प्रमुख पदाधिकारी शामिल थे। सभी लोगों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे मोबाइल अपने साथ नहीं रखेंगे। सभी के लिए पास जारी किए गए थे, इसी के आधार पर उन्हें एंट्री दी गई।
इंदौर के सांसद शंकर ललवानी पास लाना भूल गए थे, बाद में जब उन्होंने अपना पास मंगवाया तब अंदर गए। प्रधानमंत्री सोमवार को जीआईएस का शुभारंभ करने के बाद बिहार प्रवास पर निकल जाएंगे।