ज्ञानचंदानी ब्रदर्स के लिए अपने साबुनों को बेचना मुश्किल हो रहा था। पूंजी ज्यादा थी नहीं, इसलिए वो खुद साबुनों की डिलीवरी करते थे। साइकिल और पैदल जाकर दुकानदारों से लेकर गली-मोहल्ले में लोगों को साबुन खरीदने के लिए मनाते थे। काफी कोशिशों के बाद भी मुनाफा नहीं हो पा रहा था। इसके बावजूद भी दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और कोशिश करते रहे। वो समझ चुके थे कि उन्हें कुछ ऐसा करना होगा, जो बाकी कंपनियां नहीं कर रही है। उस दौर में जहां अधिकांश वॉशिंग पाउडर पीले या नीले रंग के होते थे, इन्होंने सफेद रंग का वॉशिंग पाउडर बाजार में उतारने का फैसला किया, साथ में एक मजबूत और जुबां पर चढ़ जाने वाला टैगलाइन निकाला ।
सफेद डिटर्जेंट पाउडर के साथ उन्होंने टैगलाइन दिया, 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें'। उनका ये टैगलाइन लोगों की जुंबा पर चढ़ गया। बाकी डिटर्जेंट के मुकाबले उन्होंने दुकानदारों को ज्यादा कमीशन ऑफर किया। कीमत बाजार में मौजूद वॉशिंग पाउडर से कम रखी। लोगों का भरोसा उनके प्रोडक्ट पर बढ़ने लगा और धीरे-धीरे कानपुर समेत आसपास के शहरों में घड़ी वॉशिंग पाउडर और साबुन पॉपुलर होने लगा। कंपनी ने हर 200-300 किलोमीटर पर एक छोटी यूनिट या डिपो बनाना शुरू किया, जिसके ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी कम हुआ और लोगों तक प्रोडक्ट्स जल्दी पहुंचने लगे। साल 2005 में उन्होंने अपनी का नाम बदलकर Rohit Surfactants Private Limited (RSPL) कर दिया। धीरे-धीरे देश के दूसरे राज्यों तक उनका कारोबार फैल गया।