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पहले इस्तेमाल करें...वाली 'घड़ी' ने बदल दी कानपुर के दो भाइयों की किस्मत, साइकिल से साबुन बेचने वाले आज हैं करोड़ों के मालिक

Updated on 21-08-2023 12:53 PM
नई दिल्ली: कई बार हमारे आसपास ऐसी चीजें होती है, जिनका हम इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उसके बारे में जानते नहीं है। ऐसा ही एक ब्रांड है, जिसके डिटरजेंट पाउडर, साबुन से लेकर डेयरी प्रोडक्ट, फुटवेयर तक हम इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उसके बारे में जानते नहीं है। 'पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें' वाली लाइन आपने भी सुनी होगी। ये टैगलाइन बच्चे-बूढे सबकी जुबां पर छा गया है, लेकिन इस टैगलाइन के पीछे की कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। कानपुर के दो भाईयों की कहानी, जिन्होंने एक छोटे से कमरे से आज 12,000 करोड़ रुपये की कंपनी तैयार कर दी। ये कहानी है लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता की। ये कहानी है देसी वाशिंग पाउडर ‘घड़ी’ की।

​कानपुर के दो भाईयों ने देखा सपना​

कानपुर के शास्त्रीनगर में रहने वाले दो भाईयों मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी ने घर के पास एक छोटी की दुकान से कारोबार की शुरुआत की। पिता दयालदास ज्ञानचंदानी ग्लिसरीन से साबुन बनाकर बेचा करते थे। साबुन बनाने का काम उन्होंने अपने पिता से सीखा था, इसलिए इसी दिशा में अपना कारोबार करने का प्लान बनाया। फजलगंज फायर स्टेशन के पास एक छोटी सी दुकान लेकर वहां साबुन बनाने का काम शुरू किया। फैक्ट्री का नाम रखा श्री महादेव सोप इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड। साबुन तो बनने लगा, लेकिन उसे बेचना चुनौतियों से भरा था। निरमा और व्हील जैसे बड़े ब्रांड पहले से बाजार में मौजूद थे, जिसके सामने टिक पाना आसान नहीं था।

​साइकिल से करते थे डिलीवरी​

ज्ञानचंदानी ब्रदर्स के लिए अपने साबुनों को बेचना मुश्किल हो रहा था। पूंजी ज्यादा थी नहीं, इसलिए वो खुद साबुनों की डिलीवरी करते थे। साइकिल और पैदल जाकर दुकानदारों से लेकर गली-मोहल्ले में लोगों को साबुन खरीदने के लिए मनाते थे। काफी कोशिशों के बाद भी मुनाफा नहीं हो पा रहा था। इसके बावजूद भी दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और कोशिश करते रहे। वो समझ चुके थे कि उन्हें कुछ ऐसा करना होगा, जो बाकी कंपनियां नहीं कर रही है। उस दौर में जहां अधिकांश वॉशिंग पाउडर पीले या नीले रंग के होते थे, इन्होंने सफेद रंग का वॉशिंग पाउडर बाजार में उतारने का फैसला किया, साथ में एक मजबूत और जुबां पर चढ़ जाने वाला टैगलाइन निकाला ।

​टैगलाइन ने बदल दिया सब​

सफेद डिटर्जेंट पाउडर के साथ उन्होंने टैगलाइन दिया, 'पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें'। उनका ये टैगलाइन लोगों की जुंबा पर चढ़ गया। बाकी डिटर्जेंट के मुकाबले उन्होंने दुकानदारों को ज्यादा कमीशन ऑफर किया। कीमत बाजार में मौजूद वॉशिंग पाउडर से कम रखी। लोगों का भरोसा उनके प्रोडक्ट पर बढ़ने लगा और धीरे-धीरे कानपुर समेत आसपास के शहरों में घड़ी वॉशिंग पाउडर और साबुन पॉपुलर होने लगा। कंपनी ने हर 200-300 किलोमीटर पर एक छोटी यूनिट या डिपो बनाना शुरू किया, जिसके ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी कम हुआ और लोगों तक प्रोडक्ट्स जल्दी पहुंचने लगे। साल 2005 में उन्होंने अपनी का नाम बदलकर Rohit Surfactants Private Limited (RSPL) कर दिया। धीरे-धीरे देश के दूसरे राज्यों तक उनका कारोबार फैल गया।


​आज 12000 करोड़ की कंपनी​

जिस कंपनी की शुरुआत छोटे से कमरे से हुई आज वो देशभर में फैली हुई है। कंपनी सिर्फ वॉशिंग पाउडर या साबुन के कारोबार तक सीमित नहीं है, बल्कि हैंडवाश, रूम फ्रेशनर, टॉयलेट क्लीनर, वीनस , नमस्ते इंडिया (डेयरी प्रोडक्टस) सेनेटरी नैपकिन , फुटवेयर और फैशन और रियल स्टेट तक फैली हुई है। कंपनी का वैल्यूएशन 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

​यूपी के सबसे अमीर भाई

एक छोटी सी कंपनी की शुरुआत करने वाले मुरलीधर ज्ञानचंदानी और बिमल ज्ञानचंदानी आज उत्तर प्रदेश के सबसे अमीर उद्योगपति के तौर पर जाने जाते हैं। दोनों भाईयों की ज्वाइंट नेटवर्थ 20 हजार करोड़ से अधिक है। साल 2022 में जारी हुरुन रिच लिस्ट के मुताबिक बिमल ज्ञानचंदानी का नेटवर्थ 8,000 करोड़ रुपये हैं तो वहीं बड़े भाई मुरलीधर ज्ञानचंदानी के पास 12,000 करोड़ की दौलत है। RSPL ग्रुप के चेयरमैन मुरलीधर ज्ञानचंदानी भारत के अमीरों की लिस्ट में 149वें नंबर पर हैं।




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