उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते से चीन से दूसरे देशों में शिफ्ट होने की लागत बढ़ जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में कुछ बदलाव भारत में हुआ है। लेकिन भारत को अपनी उत्पादन, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करना होगा ताकि वह प्रतिस्पर्धी बना रहे। अमेरिका और चीन के बीच समझौता वैश्विक सप्लाई चेन को फिर से बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है लेकिन चाइना प्लस वन जारी रहेगा। भारत अब भी इस प्रक्रिया में शामिल रहेगा। भारत और यूके के बीच समझौते से एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा।