नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच गोवा पंचायत चुनावों में मिली जीत पर कहा है कि तीन कृषि कानूनों के बनने के बाद देश में जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें भाजपा को मिली जीत दर्शाती है कि देश का किसान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गोवा में जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने अपने दम पर शानदार बहुमत प्राप्त किया है जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कहीं आस-पास भी नहीं है।
कृषि कानून आने के बाद इन चुनावों में बीजेपी को मिली जीत
बिहार विधानसभा चुनाव और 12 राज्यों में हुए उपचुनावों के बाद पार्टी को बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद, राजस्थान के स्थानीय निकाय, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम और अन्य स्थानीय चुनावों में मिली जीत का उल्लेख करते हुए पात्रा ने कहा कि लद्दाख से लेकर कर्नाटक तक और गुजरात से लेकर मणिपुर तक की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की विकास यात्रा में अपनी अटूट आस्था व्यक्त करते हुए उनकी नीतियों में विश्वास व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कृषि सुधार कानून के बाद देश में जितने चुनाव हुए, उन सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई है क्योंकि देश के गांव, गरीब, किसान और मजदूर मोदी सरकार और भाजपा के साथ है। ये परिणाम संभव नहीं होते अगर देश के किसान हमारे साथ नहीं होते।’’
पात्रा ने राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं और देश के कुछ अन्य स्थानों पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन को सोमवार को राजनीतिक गुटों की लड़ाई बताया। उन्होंने कहा, ‘‘किसान आंदोलन किसानों की नहीं बल्कि राजनीतिक गुटों की लड़ाई हो गई है। आम आदमी पार्टी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के ट्विटर वार को देखिए। वो आपस में एक दूसरे से लड़ रहे हैं। ये किसानों के हित के लिए नहीं, आपस में सत्ता की लड़ाई लड़ रहे हैं।’’
पात्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा किसानों के समर्थन में उपवास करने पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनावों के अपने घोषणापत्र में एपीएमसी कानून में संशोधन का वादा किया था और इसी साल नवम्बर में दिल्ली में केंद्र के तीन कृषि कानूनों को अधिसूचित भी किया।
कृषि कानूनों पर सरकार को घेरने के राहुल गांधी के प्रयासों पर चुटकी लेते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘राहुल गांधी शायद रबी और खरीफ को भी भाजपा कार्यकर्ता समझते हैं। उन्हें तो यह पता भी नहीं कि ये फसलों के प्रकार हैं।’’ उन्होंने कहा कि नये कानूनों के बाद किसानों के पास विकल्प होगा कि वे अपना उत्पाद किसे बेचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह कृषि क्षेत्र का ही उदारीकरण नहीं है बल्कि देश के हर किसान के लिए छूट है। आजादी के बाद पहली बार किसान स्वतंत्रता का स्वाद चखेंगे।’’