नई दिल्ली । देश की सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को राज्य की भूमि का अधिकार उसके निवासियों को प्रदान करने वाले रोशनी कानून को निरस्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं पर 21 दिसंबर को फैसला करने के लिए कहा है। न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह उच्च न्यायालय के नौ अक्टूबर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के मौखिक आश्वासन पर गौर किया कि मामले में शीर्ष अदालत का रूख करने वाले याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि ‘वे भूमि हड़पने वाले या अनधिकृत लोग नहीं हैं।’ मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर पहले ही उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुका है और कहा कि प्राधिकार ‘योग्य और आम लोगों के खिलाफ नहीं है जो भूमि हड़पने वाले नहीं हैं।’ पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी थे। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में याचिकाओं के लंबित रहने से उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई में कोई असर नहीं पड़ेगा। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने नौ अक्टूबर को रोशनी कानून को गैर कानूनी और असंवैधानिक बताया था और सीबीआई को इस कानून के तहत भूमि आवंटन की जांच करने का आदेश दिया था। रोशनी कानून को 2001 में लागू किया गया था। इसका मकसद ऊर्जा परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना और राज्य की भूमि पर बसे लोगों को उसका मालिकाना हक हस्तांतरित करना था।