नई दिल्ली मंगलवार से शुरू हुआ मालाबार युद्धाभ्यास का दूसरा चरण 20 नवंबर तक चलेगा। 13 साल बाद चारों देशों की नौसेनाएं पहली बार किसी महा नौसैनिक अभ्यास में एक साथ हिस्सा ले रही हैं। इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारवादी चीन के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है। युद्धाभ्यास के दूसरे चरण के पहले दिन इंडियन नेवी का विक्रमादित्य विमानवाहक पोत, अमेरिकी विमान वाहक पोत निमित्ज और ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौसेना की अग्रिम मोर्चो पर तैनात पोतों ने जटिल अभ्यास में हिस्सा लिया।
इस युद्धाभ्यास में परमाणु ईंधन से संचालित यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व में अमेरिकी हमलावर समूह हिस्सा ले रहा है। यूएसएस निमित्ज दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत है। यह युद्धक समूह विशाल नौसेना बेड़ा है, जिसमें विमान वाहक पोत के साथ-साथ बड़ी संख्या में डेस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और अन्य पोत शामिल हैं। मालाबार युद्धाभ्यास का पहला चरण तीन से छह नवंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में हुआ और इस दौरान पनडुब्बी युद्ध और समुद्र से हवा में मार करने की क्षमता का अभ्यास किया गया। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब पिछले 6 महीने से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध चल रहा है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आया है। युद्धाभ्यास विस्तारवादी चीन को एक तरह से कड़ा संदेश है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका कोई भी दुस्साहस महंगा पड़ेगा। यही वजह है कि इस युद्धाभ्यास से चीन भड़का भी हुआ है। उसे लगता है कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए है। इस युद्धाभ्यास में निमित्ज के साथ क्रूजर प्रिंसटन और डेस्ट्रॉयर स्टरेट और पी8एम समुद्री टोही विमान भी शामिल हैं। ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का प्रतिनिधित्व फ्रिगेट बल्लार्ट और हेलिकॉप्टर कर रहे हैं।