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अज्ञानता और लापरवाही की कीमत: खेलों में अनुशासन की आवश्यकता

Updated on 02-09-2024 11:09 AM
पेरिस में चल रहे ओलंपिक के दौरान डेढ़ सौ करोड़ भारतीयों को पहलवान विनेश फोगाट से बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन उनके प्रतियोगिता से बाहर हो जाने वाली इस दिल तोड़ देने वाली ख़बर ने सभी को स्तब्ध कर दिया। इस समाचार से देशवासीयों का दिल टूट गया है, उनकी उम्मीदें मर गई हैं, पूरे देश में उदासी की लहर छाई हुई है। ओलंपिक पहलवान विनेश फोगाट को प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में डिस्क्वालिफाई कर दिया गया, क्योंकि ओलंपिक के नियमों के अनुसार फाइनल मुकाबले की सुबह वजन मापने के बाद उनका वजन निर्धारित सीमा 50 किलो से 100 ग्राम अधिक निकला। 

ऐसा नहीं है कि विनेश नियमों से अनजान थीं। तीन राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश तीसरी बार ओलंपिक में भाग ले रहीं थीं। पहले दो मौकों पर उन्हें क्वार्टर फाइनल से ही बाहर होना पड़ा था। हालांकि, इस बार उन्होंने फाइनल के लिए क्वालिफाई किया था। वह फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थीं। यह पहली बार नहीं है जब उन्हें वजन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। आठ साल पहले वर्ल्ड ओलंपिक क्वालिफाइंग इवेंट के दौरान विनेश का वजन वर्ग से 400 ग्राम ज्यादा पाया गया था। इसके बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उसके बाद 2020 टोक्यो ओलंपिक में, उन्होंने एक रात में अपना वजन तेजी से कम करने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हुईं और वो हार गयीं थी। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे एथलीट उन नियमों से पूरी तरह से अवगत हैं जिनका पालन करना है और जब वे नहीं होते हैं, तो इसकी कीमत हमारे देश को क्या पड़ती है। 

देश खिलाड़ियों को ओलंपिक में भेजने के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों का निवेश करता है, उनसे उम्मीद करता है कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या हमारे एथलीट उन नियमों से पूरी तरह से अवगत हैं जिनका पालन करना है और जब वे नहीं होते हैं, तो इसकी कीमत हमारे देश को क्या पड़ती है। विनेश फोगाट की हालिया डिस्क्वालिफिकेशन ने हमें खेलों में अनुशासन और नियम पालन के महत्व की याद दिलाई है। ओलंपिक के महत्वपूर्ण नियमों और दिशानिर्देशों की अवहेलना करने से न केवल व्यक्तिगत नुकसान होता है, बल्कि यह राष्ट्र के लिए शर्म और करदाताओं के पैसे की बर्बादी का कारण बनता है। हमें अपने एथलीटों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए और उन्हें उच्चतम मानकों पर रखना चाहिए। अनुशासन, नियम पालन, और कठोर तैयारी के महत्व पर जोर देना समय की मांग है। हमें सहानुभूति के बजाय जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

दूसरी ओर, जापानी खिलाड़ियों को उनकी अनुशासन और नियम पालन के लिए जाना जाता है। जापानी खिलाड़ी हमेशा अपने खेल में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हैं और नियमों का पालन करने में कोई कोताही नहीं बरतते हैं। यही कारण है कि जापानी खिलाड़ी विश्व मंच पर सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।

हमें बार-बार दोषियों को महिमामंडित करने के प्रभाव पर भी विचार करना चाहिए। यदि हम उन लोगों पर दया दिखाते हैं जो नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो हम सम्पूर्ण विश्व को एक गलत संदेश भेजते हैं कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाए  गए नियमों का पालन न करना हमें स्वीकार्य है। इससे एक ऐसी संस्कृति का उद्भव होता है जहां हार का जश्न मनाया जाता है, और अनुशासन और अभ्यास के महत्व को कम आँका जाता है।

विनेश फोगाट की बार-बार की गलतियां, यह याद दिलाती हैं कि नियमों से अनभिज्ञता रखना और उनके पालन के प्रति लापरवाह रवैये की कीमत देश को बहुत महंगी पड़ती हैं। विनेश जैसे उन लोगों के लिए सहानुभूति महसूस करना स्वाभाविक है जो अंतिम समय में किसी चूक के चलते प्रतियोगिता से बाहर हो जाते हैं लेकिन ऐसे मामलों में सहानुभूति, खतरनाक सिद्ध हो सकती है। इस हिमायत के फलस्वरूप हमारे खिलाड़ी और अधिक लापरवाह बन सकते हैं, और अंततः देश को वैश्विक मंच पर और भी बुरी स्थिती में खड़ा कर सकते है। आइए हम विनेश फोगाट की गलतियों से सबक लें और खेलों में अनुशासन की आवश्यकता को समझें। हमारे एथलीटों को विश्व मंच पर सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन और नियम पालन का पालन करना होगा। हमें अपने एथलीटों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए और उन्हें उच्चतम मानकों पर रखना चाहिए। अनुशासन, नियम पालन, और कठोर तैयारी के महत्व पर जोर देना समय की मांग है।

-समकित जैन,लेखक 

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