नई दिल्ली । अरब सागर में गुरुवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय नौसेना के मिग -29 के के लापता पायलट निशांत सिंह विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के ठीक पहले, खुद को 'बाहर निकालने' में सफल हुए थे। हादसे के चार दिन बाद नौसेना विशेषज्ञों ने रूस में निर्मित दो सीटों वाले इस फाइटर प्लेन का मलबा ढूंढ निकाला है। सूत्रों ने बताया कि कमांडर निशांत सिंह की इजेक्शन सीट दुर्घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी। कमांडर निशांत, जेट विमान को कंट्रोल करने के लिए इंस्ट्रक्टर के तौर पर थे। हादसे में सेकंड पायलट, एक ट्रेनी को बचा लिया गया था।
मिग -29 के रूस में निर्मित K-36D-3।5 इजेक्शन सीट से सुसज्जित है, इसे दुनिया के सबसे परिष्कृत प्लेन में शुमार किया जाता है। विमान से बाहर निकलने के लिए इजेक्शन हैंडल को खींचा जाता है। इससे पीछे वाली सीट का पायलट पहले बाहर निकलता है और उसके बाद सामने वाली सीट का।सूत्र बताते हैं कि जब पायलट बाहर निकले तो फाइटर प्लेन काफी कम ऊंचाई पर थे। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि ट्रेनी को एक दूसरे पैराशूट से एयरक्राफ्ट से बाहर निकलते देखा गया।हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मिग-29 के का पर्सनल लोकेटर बीकन पानी के संपर्क में आने के बाद सिगनल देने में क्यों नाकाम रहा?लापता पायलट के लिए सरकार ने गहन हवाई, तटीय और सरफेस तलाशी अभियान छेड़ रखा है। सूत्रों के अनुसार, गोताखोर विशेष उपकरणों की मदद से तलाशी के अभियान को अंजाम दे रहे हैं।