खाड़ी में अमेरिकी सेना की मौजूदगी से बढ़ा तनाव, नाराज ईरान कभी भी कर सकता है जवाबी हमला, विशेषज्ञों ने किया आगाह
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09-08-2023 02:31 PM
वॉशिंगटन: साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुआ परमाणु समझौता कैंसिल कर दिया था। इसके बाद से ही दोनों देशों में तनाव बरकरार है। अब विशेषज्ञों की तरफ से कहा गया है कि जिस तरह से खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका लगातार मिलिट्री बढ़ा रहा है, उसकी वजह से ईरान के साथ टकराव खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। उनका कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों ही देश कूटनीति के जरिए अपने मसलों को हल करन में अभी तक नाकाम साबित हुए हैं। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पिछले हफ्ते पेंटागन की तरफ से होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे शिपिंग लेन को ईरान से से बचाने के लिए हजारों अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने का फैसला लिया गया है।
ड्रोन और मिसाइलों से लैस ईरानी सेना न्यूज एजेंसी एपी की तरफ से पिछले दिनों बताया गया था कि अमेरिका की सेना होर्मुज से गुजरने वाले कर्मशियल जहाजों पर सशस्त्र सैनिकों को तैनात करने का मन बना रही है। अगर वाकई ऐसा होता है तो फिर यह एक असाधारण कदम होगा। उस रिपोर्ट पर ईरान की ओर से जो प्रतिक्रिया आई, उससे उसके गुस्से का पता लगता है। ईरान का कहना था कि वह अमेरिका के इस फैसले के जवाब में अपनी रिवोल्यूशनरी गार्ड नौसेना को ड्रोन और मिसाइलों से लैस करेगा। वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिसी थिंक टैंक की सीनियर फेलो सिना टूसी ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ईरान के खिलाफ आर्थिक युद्ध और सैन्य वृद्धि की नीति असफल साबित हुई है मगर फिर भी इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
अमेरिका की असफल नीति टूसी ने कहा कि यह नीति पिछले पांच सालों से नहीं बल्कि दशकों से जारी है। मगर इसका रिकॉर्ड यही है कि इसने हमेशा आपसी तनाव को और बढ़ाया है। इसकी वजह से ईरान की तरफ से जवाबी हमले का खतरा तक बढ़ गया है और यह बहुत ही खतरनाक है। पिछले कुछ महीनों में अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाया है कि उसने खाड़ी से जाने वाले कई अंतरराष्ट्रीय जहाजों को जब्त कर लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि रणनीतिक जलक्षेत्र सीमा में ईरान का हालिया व्यवहार अमेरिका की तरफ से ईरानी तेल टैंकर को जब्त करने के बाद आया है। यह टैंकर फिलहाल टेक्सास के तट से दूर है। वाशिंगटन नेशनल ईरानी अमेरिकन काउंसिल (एनआईएसी) के नीति निदेशक रयान कॉस्टेलो ने भी टूसी के सुर में सुर मिलाए हैं। उनका कहना है कि खाड़ी में अमेरिकी सेना की मौजूदगी बढ़ाना ट्रंप युग की तरफ लौटना है। कॉस्टेला ईरान के साथ अमेरिकी कूटनीति के पक्षधर हैं और उन्होंने भी इसे खतरनाक करार दिया है।
ईरान से डरे कई देश कई अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी तेल कंपनियां खाड़ी में अपने जहाजों के खिलाफ ईरान के बदले के डर से जब्त किए गए तेल के लिए बोली लगाने से इनकार कर रही हैं। टूसी ने कहा है कि दोनों देश यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे दूसरे पक्ष के आक्रामक कदमों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। साल 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने वाले बाइडेन ने ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने का वादा किया था। मगर पर्दे के पीछे होने वाली वार्ता की वजह से संधि दोनों देश संधि को बहाल करने में विफल रहे हैं। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपने प्रतिबंध शासन को लागू करना जारी रखा है और ज्यादा से ज्यादा जुर्माना लगा दिया।
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