तालिबान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी आज (9 मई) को हज की यात्रा के लिए सऊदी अरब पहुंच गए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने दो दिन पहले ही इन पर लगा ट्रेवल बैन हटाया था। अगस्त 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद UNSC समेत कई देशों ने उस पर ट्रैवल बैन लगा दिया था।
हक्कानी पहले दौरे पर UAE की यात्रा की। UAE के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात की। उस पर अमेरिका में 83 करोड़ रुपए का इनाम घोषित है।
दरअसल, 2010 के दशक में हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों पर एक के बाद एक कई आत्मघाती हमले किए थे। 2012 में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। हक्कानी के साथ, खुफिया प्रमुख मुल्ला अब्दुल हक वसीक और मौलवी अनस हक्कानी भी UAE पहुंचे थे।
कैसे हैं सऊदी अरब, UAE और तालिबान के रिश्ते?
पाकिस्तान, UAE और सऊदी अरब पहले ऐसे देश थे, जिन्होंने 1996 में तालिबान सरकार को मान्यता दी थी। जबकि 2024 तक किसी भी देश ने खुले तौर पर तालिबान का समर्थन नहीं किया है। अमेरिका के बैन के बावजूद UAE और सऊदी ने तालिबान से अपने रिश्ते बिगाड़े नहीं। इसके अलावा फरवरी 2023 से सऊदी अरब ने अफगानिस्तान में अपनी काउंसलर सर्विस को फिर से शुरू कर दिया था।
2021 में अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद यह पहला मौका है, जब सिराजुद्दीन हक्कानी किसी विदेश यात्रा पर गए। UAE के राष्ट्रपति ने मंगलवार (6 जून) को अबु धाबी के कासर अल-शाती पैलेस में हक्कानी से मुलाकात की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में तालिबान की वापसी के बाद से UAE उनसे रिश्ते सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है। UAE की एयर अरेबिया और फ्लाई दुबई एयरलाइंस ने पिछले साल नवंबर में काबुल एयरपोर्ट के लिए उड़ानें भी शुरू कर दी थीं।
तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान में आतंकी हमले करवा चुका हक्कानी
2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई खतरनाक हमले किए थे। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस संगठन पर प्रतिबंध लगा रखा है। हक्कानी नेटवर्क आतंकी हमलों में सुसाइड बॉम्बर का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है।
2013 में अफगान सेना ने हक्कानी नेटवर्क के एक ट्रक को पकड़ा था। इस ट्रक में करीब 28 टन विस्फोटक भरा हुआ था। 2008 में उस वक्त के अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई पर हुए आत्मघाती हमले का आरोप भी हक्कानी नेटवर्क पर लगा था। अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत करने का आरोप भी हक्कानी नेटवर्क पर ही है।
पूर्वी अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क का प्रभाव सबसे ज्यादा है। अफगानिस्तान में प्रभावी इस संगठन का बेस पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिम सीमा में है। तालिबान लीडरशिप में भी हक्कानी नेटवर्क की उपस्थिति बढ़ी है। 2015 में नेटवर्क के मौजूदा प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान का डिप्टी लीडर बनाया गया था।
'भारत ने हमारे दुश्मनों की मदद की, लेकिन हम इसे भूलने को तैयार'
2021 में हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि हम भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं। भारत ने पिछले बीस साल के दौरान हमारे दुश्मनों की बहुत मदद की, लेकिन हम सब कुछ भूलकर रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। कश्मीर के मुद्दे पर अनस ने कहा कि कश्मीर में किसी भी तरह का दखल हमारी पॉलिसी के खिलाफ है। हम इस मुद्दे पर कोई दखल नहीं देंगे।