जोधपुर। पड़ोसी मुल्क की सीमा से सटे राजस्थान के जोधपुर में शीघ्र ही स्वदेशी विमान तेजस की तैनाती होने वाली है। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। कहा जा रहा है कि तेजस की तैनाती के बाद दुश्मन देश और वहां छिपे आतंकियों में खौफ और बढ़ जाएगा। देश की पश्चिमी हवाई सीमा की सुरक्षा का जिम्मा राजस्थान का है। खासकर जोधपुर और सूरतगढ़ जैसे 6 एयरबेस से भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान के किसी भी नापाक इरादे को सिर्फ 20 मिनट में नाकाम कर सकता है। बात अगर जोधपुर एयरबेस की बात तो यहां से पाकिस्तान की दूरी सिर्फ 300 किमी है। अभी जोधपुर एयरबेस पर सुपरसोनिक सुखोई और जगुआर फाइटर जेट तैनात हैं। वहीं, तेजस की तैनाती के बाद इसकी शक्ति और बढ़ जाएगी।
भारत की पूरी पश्चिमी सीमा एयरफोर्स के मॉर्डन राडार से लैस है। इससे 24 घंटे पाकिस्तान की हरेक हरकतों पर नजर रखी जाती है। वहीं, जोधपुर के कायलाना की पहाड़ियों पर लगे सिक्योरिटी व सर्विलांस पूरे पाकिस्तान के हर एयरबेस व मिलिट्री मूवमेंट पर नजर रखते हैं। भारत सरकार ने अप्रैल 2000 में रूस से दो ए-50 अवाक्स सिस्टम मंगवाए थे। ये हवा में तैरते वार रूम हैं। इसका पश्चिमी सीमा पर मूवमेंट होता रहता है। ये जोधपुर सहित सभी एयरबेस पर आते-जाते रहते हैं। यहां लगे इजरायल व रूस से मिले एकदम लेटेस्ट तकनीक के एयर सर्विलांस सिस्टम हैं। यह एयर सर्विलांस सिस्टम दुनिया में बेहतरीन माना जाता है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए हमारे विमानों की टोह लेना इतना आसान नहीं है।
मालूम हो कि तेजस विमान पाकिस्तान और चीन के संयुक्त उत्पादन थंडरबर्ड से कई गुना ज्यादा दमदार है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब तेजस की प्रदर्शनी की बात की गई थी, तब पाकिस्तान और चीन ने थंडरबर्ड को प्रदर्शनी से हटा लिया था। ये बात है बहरीन इंटरनेशनल एयर शो की। तेजस चौथी पीढ़ी का विमान है, जबकि थंडरबर्ड मिग-21 को सुधारकर बनाया जा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा बनाए गए इस विमान का आधिकारिक नाम 'तेजस' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था। यह संस्कृत का शब्द है। जिसका अर्थ होता है अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा। एचएएल ने इस विमान को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) यानी हल्का युद्धक विमान प्रोजेक्ट के तहत बनाया है।