भारत बनाम चीन के झगड़े में तटस्थ रहेगा श्रीलंका, विदेश मंत्री अली साबरी का ऐलान, भूले हिंदुस्तान का अहसान?
Updated on
30-06-2023 07:24 PM
कोलंबो: चीन के कर्ज के तले दबा श्रीलंका डिफॉल्ट होने के बाद अब एक बार फिर से पटरी पर आ रहा है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे रफ्तार पकड़ रही है, उसके सुर बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। श्रीलंका भारत का पड़ोसी देश है और डिफॉल्ट होने के दौरान भारत ने खाने पीने के सामान से लेकर अरबों डॉलर की मदद दी थी। अब श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी चीन पहुंचे हैं और उन्होंने कहा है कि भारत-चीन प्रतिस्पर्द्धा में उनका देश तटस्थ रहेगा। यह वही चीन है जिसके बेल्ट एंड रोड कर्ज ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था। अब श्रीलंका एक बार फिर से चीन के गुणगान करने लगा है। श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने भारत और चीन को नसीहत दी कि यह दोनों देशों और दुनिया के लिए अच्छा होगा कि वे अपने मतभेदों को कम करें। अली साबरी ने कहा कि भारत बनाम चीन होने पर वह किसी का पक्ष नहीं लेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनका देश भारत और चीन को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी कदम नहीं उठाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के तनाव में कई क्षेत्रीय देशों के फंसने का खतरा है। साबरी ने चीन के अखबार साउथ चाइना सी से बातचीत में कहा, 'हम चाहते हैं कि भारत और चीन एक-दूसरे से बातचीत करें तथा अपने मतभेदों को दूर करें। यह दोनों देशों और दुनिया के लिए बेहतर होगा।'
चीन के जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने दिया
गलवान घाटी में चीन की खूनी हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बहुत गंभीर हो गया है। दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक आमने-सामने हैं। इससे पहले श्रीलंका ने भारत के विरोध के बाद भी चीन के जासूसी जहाज को अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर आने दिया था। यह वही श्रीलंकाई बंदरगाह है जिसे चीन अपने कब्जे में कर चुका है और इसे नौसैनिक अड्डा बनाने के सपने देख रहा है। भारत ने साफ कह दिया है कि चीन रणनीतिक रूप से बेहद अहम हंबनटोटा बंदरगाह का इस्तेमाल उसके खिलाफ कर सकता है।
चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। अली साबरी ने श्रीलंकाई दूतावास में कहा, 'हमने चीन और भारत दोनों को ही यह साफ कह दिया है कि हम बिजनस के लिए किसी के साथ तैयार हैं लेकिन एक-दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने वाला कदम नहीं उठाएंगे।' उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब श्रीलंका चीन से कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने के लिए गुहार लगा रहा है लेकिन ड्रैगन अभी इधर-उधर कर रहा है। श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का 10 प्रतिशत चीन का है। विश्लेषकों के मुताबिक चीन की कोशिश श्रीलंका को कर्ज जाल में फंसाकर रखने की है।
कर्ज संकट में फंसाने वाले बीआरआई को बढ़ाएगा श्रीलंका
विश्लेषकों के मुताबिक श्रीलंका की बदहाली के अभी एक साल भी नहीं बीते हैं और उसके सुर बदल गए हैं। अली साबरी ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की है। इस दौरान श्रीलंका ने वचन दिया है कि वह देश में बीआरआई प्रॉजेक्ट की सफलता को सुनिश्चित करेगा। साथ ही साबरी ने यह भी कहा कि श्रीलंका एक चीन नीति का पालन करता रहेगा। यही नहीं श्रीलंका अब बेल्ट एंड रोड में उच्च गुणवत्ता के काम करने जा रहे हैं। भारत ने श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की मदद दी लेकिन अब एक बार फिर से वह चीन की शरण में जाता दिख रहा है।
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