क्या है पूरा बिजनस
सत्यजीत मित्तल बताते हैं कि 10 साल की उम्र तक ज्यादातर बच्चे सही आकार के जूते नहीं पहन पाते। जूते का साइज या तो कुछ बड़ा होता है या कुछ छोटा। वह बताते हैं कि तीन साल की उम्र तक के बच्चों के पैरों का साइज हर तीन महीने में बदलता है। जब बच्चा 13 साल की उम्र तक पहुंचता है तो उसके पैर का साइज लगातार बढ़ता जाता है। इस उम्र में आने तक बच्चा कई साइज के जूते पहन चुका होता है।उन्होंने कहा कि बच्चे के पैर बढ़ते हैं, लेकिन जूते नहीं। माता-पिता जो जूते खरीदते हैं, वे कुछ समय बाद ही छोटे हो जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अरेटो (Aretto) नाम से स्टार्टअप शुरू किया। वह बच्चों के लिए ऐसे जूते बनाते हैं जो बच्चे के बड़े होने के साथ ही उनके पैर के आकार के हो जाते हैं। यानी ये स्ट्रेचेबल जूते बनाते हैं। ये न केवल फ्लेक्सिबल बल्कि आरामदायक भी होते हैं।
बच्चों के पैर पर की रिसर्च
सत्यजीत ने अपना स्टार्टअप शुरू करने से पहने बच्चों के शू मार्केट को जाना। उन्होंने मार्केट में बच्चों और बड़ों के जूतों में बहुत अंतर पाया। उन्होंने देखा कि बच्चों के जूतों को कोई बड़ा ब्रांड नहीं है। इसके अलावा उन्होंने बच्चों के पैरों पर कुछ रिसर्च भी की।वह बताते हैं कि उन्होंने साल 2020 में पीडियाट्रिस्ट से बात करके बच्चों के पैरों की शारीरिक रचना पर रिसर्च करना शुरू किया। उन्हें रिसर्च में पता चला कि बच्चे के पैर चौड़े होते हैं और पहले तीन सालों में हड्डियों का आकार पूरी तरह विकसित नहीं होता है। पैरों में हजारों नर्व्स होती हैं। इन्हें पहले छह सालों में सिम्युलेट करना होता है। दो साल की रिसर्च के बाद वह ऐसा जूता बनाने में सफल रहे जो बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ स्ट्रेच होता जाता है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे के लिए बार-बार जूते खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती।