नई दिल्ली । कृषि कानून के विरोध में आंदोलन के बीच किसान नेताओं का एक समूह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचा है। गृह मंत्री के साथ बैठक के लिए किसान नेताओं को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के इंटरनेशनल गेस्ट हाउस ले जाया गया है। बताया जा रहा है कि किसानों को जब वर्चुअल मीटिंग की जानकारी हुई तो उन्होंने विरोध किया। किसान इस बात से नाराज होकर सिंघु बॉर्डर के लिए निकल गए। इसके बाद अफसरों ने शाह को पूरी जानकारी दी। उसके बाद शाह कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयुष गोयल के साथ बैठक के लिए पहुंचे।
किसानों ने शाह से मुलाकात से पहले साफ-साफ शब्दों में कहा है कि कोई बीच का रास्ता नहीं है। हमें गृहमंत्री से हां या ना में जवाब चाहिए। उधर भारत बंद का देश भर के अलग-अलग राज्यों में मिलाजुला असर है। छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान सहित 13 प्रदेशों में जहां बंद का ठीक-ठाक असर देखने को मिला वहीं मप्र, यूपी, गोवा सहित 17 राज्यों में जनजीवन सामान्य रहा। उधर, किसानों की सरकार के साथ बुधवार को छठे राउंड की चर्चा होगी।
किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को भारत बंद किया गया। गैर-भाजपा शासित 13 राज्यों में बंद का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। राजस्थान के मंत्री खुद ट्रैक्टर पर सवार होकर दुकानें बंद कराने निकले। वहीं, मुंबई की डब्बावाला एसोसिएशन ने भी बंद को समर्थन दिया। इन 13 राज्यों में देश की आधी आबादी रहती है और करीब 4.82 करोड़ किसान परिवार रहते हैं। इनमें बड़े राज्य महाराष्ट्र और राजस्थान हैं। महाराष्ट्र में 1.10 करोड़ और राजस्थान में 71 लाख परिवार खेती पर निर्भर हैं। टिकरी बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास भारी भीड़ रही। दिल्ली को रोहतक से जोडऩे वाले इस हाईवे पर कई किलोमीटर तक ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़ी रही। सड़क के दोनों ओर किसान अपनी यूनियन के झंडे लिए नारेबाजी करते हुए चल रहे थे। सभी किसानों का यही कहना है कि तीनों कानून रद्द करने से कम वो किसी बात पर नहीं मानेंगे। सरकार से चर्चा से पहले हरियाणा के किसान दो गुटों में बंट गए हैं।
बुधवार को किसानों और सरकार के बीच छठे राउंड की बातचीत होनी है। इससे पहले ही कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई गई है। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर कोई फैसला हो सकता है। दरअसल केंद्र सरकार की कोशिश है कि वह किसानों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकाले। उधर किसान अभी भी अपनी मांग पर अड़े हुए है। उनका कहना है कि हमें कानून वापसी से कम कुछ मंजूर नहीं। वहीं बीस किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को ज्ञापन सौंप आंदोलन वापस लेने की बात कही।
किसानों के बंद का मप्र में मिला जुला असर रहा। किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया वहीं कांग्रेस ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया। उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में है। इसलिए मप्र के किसान आंदोलन में शामिल नहीं हुए। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कांग्रेस के आंदोलन में रोटी नहीं सींक पाई।
13 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसानों से दिल्ली चौतरफा घिर चुकी है। हरियाणा से लगते दिल्ली के 4 बॉर्डर- टिकरी, सिंघु, झारोदा और धनसा पूरी तरह बंद हैं। 2 बॉर्डर सिर्फ हल्के वाहनों के लिए खुले हैं।
यहां भारत बंद का कांग्रेस शासित किसान संगठनों और मंडी कारोबारियों ने समर्थन किया। यहां पेट्रोल पंप, अस्पताल, मेडिकल शॉप्स सहित जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी सब कुछ बंद रहा। जयपुर में प्रदेश की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी मुहाना टर्मिनल भी बंद रही।
किसानों के भारत बंद का महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दल यानी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने समर्थन किया। समाजसेवी अन्ना हजारे ने मंगलवार को किसानों के समर्थन में अपने गांव रालेगण सिद्धि में एक दिन का अनशन किया। बंद को देखते हुए संवेदनशील मार्गों पर स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें नहीं चलीं।
पंजाब में किसान आंदोलन को बड़े पैमाने पर समर्थन मिला। यहां मंगलवार को शाम 5 बजे तक बंद रहे। पंजाब पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के प्रधान परमजीत सिंह इसकी घोषणा कर चुके थे। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं और इससे जुड़ी गाडिय़ों को पेट्रोल पंप से फ्यूल मिला।