यूक्रेन का नाम भी लिया तो G20 के लिए भारत आ रहे रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने धमकाया
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02-09-2023 01:52 PM
मॉस्को: अगले कुछ दिनों में होने वाले जी-20 सम्मेलन में यूक्रेन को लेकर एक बार फिर से बवाल होने वाला है। भारत में नौ और 10 सितंबर को यह सम्मेलन होना है। सम्मेलन से जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गायब रहेंगे तो देश के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। लावरोव ने भारत आने से पहले ही धमकाना शुरू कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि रूस किसी भी शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र को रोक देगा जो मास्को के यूक्रेन और बाकी संकटों के बारे में विचारों को दर्शाने वाला नहीं होगा।
क्या कहा है लावरोव ने लावरोव ने कहा, ' यदि हमारा रुख नहीं दिखाया गया तो सभी सदस्यों के नाम पर कोई सामान्य घोषणा नहीं होगी।' जी-20 शेरपा बैठक से पहले है आया यह बयान काफी तनावपूर्ण माना जा रहा है। अभी तक कहा जा रहा था कि इस सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध पर गतिरोध खत्म हो सकता है। संघर्ष पर आम सहमति के लिए संभावना कम होने के साथ, लावरोव ने कहा कि एक अन्य विकल्प एक दस्तावेज को अपनाना होगा जो 'जी-20 के अधिकार क्षेत्र के क्षेत्र में खास फैसलों पर ध्यान केंद्रित करता है। रूस नहीं चाहता है कि संयुक्त घोषणा में यूक्रेन का जिक्र हो। लेकिन अगर दस्तावेज में यूक्रेन से संबंधित उसकी चिंताओं को भी संबोधित किया जाता है तो वह इसी घोषणा पत्र पर रजामंद होगा।
रूस बोला स्थिति जटिल रूस नहीं चाहता है कि संयुक्त घोषणा में यूक्रेन का जिक्र हो। लेकिन अगर दस्तावेज में यूक्रेन से संबंधित उसकी चिंताओं को भी संबोधित किया जाता है तो वह इसी घोषणा पत्र पर रजामंद होगा। वहीं भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस भारत के जी-20 अध्यक्षता के तहत वह उसकी प्राथमिकताओं का 'बहुत खुलकर' समर्थन कर रहा है। ऐसे में उसे उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन भारत और पूरी दुनिया के लिए एक 'बहुत बड़ी सफलता' होगी। यूक्रेन संकट का जिक्र करने पर रूस-चीन गठबंधन और पश्चिमी देशों के बीच काफी मतभेद हैं। उन्होंने कहा, 'स्पष्ट रूप से, स्थिति जटिल है। यूक्रेन मुद्दे पर कोई आम सहमति नहीं है।'
नहीं जारी होगा घोषणापत्र इस साल जी-20 सम्मेलन के घोषणापत्र पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए सम्मेलन से मेल खाता है। इसके दो पैराग्राफ पिछले साल के घोषणापत्र से लिए गए हैं। इसे पिछले साल नवंबर में जारी किया गया था। रूस और चीन दोनों ने बाली घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर दो पैराग्राफों पर सहमति जताई थी। लेकिन इस साल दोनों देशों ने इसे वापस ले लिया है। इस वजह से भारत के लिए इस मुश्किल मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है। इस बात की आशंका है कि यूक्रेन संघर्ष का वर्णन करने के तरीके पर आम सहमति नहीं होने से शिखर सम्मेलन बिना घोषणापत्र के ही खत्म हो सकता है।
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