नई दिल्ली । भारत, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड के शोधकर्ताओं ने एक खास प्रजाती के मेढक का पता लगाया है। अंडमान निकोबार और पूर्वोत्तर भारत में शोधकर्ताओं की टीम को यह बड़ी जानकारी हाथ लगी है। इस किस्म के मेढक पेड़ों पर रहा करते हैं। खुद शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है। इस मेढक का नाम श्रीलंका के वैज्ञानिक रोहन पेथियागोडा के नाम पर रखा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसडी बीजू की अगु्आई में रिसर्चर्स की टीम ने कहा कि यह पहली बार है कि भारत के अंडमान द्वीप समूह में पेड़ों पर रहने वाले मेढक की प्रजाति रोहानिक्सॉलस का पता चला है।स्टडी के मुखिया रहे बीजू ने एक बयान में कहा कि अंडमान द्वीपों पर पेड़ पर पाए जाने वाले मेढक का मिलना अप्रत्याशित है और यह फिर भारत जैसे विशाल, विविधता वाले देश में ठीक तरह से कागजी कार्रवाई के लिए जलीय जीवों के सर्वे और जांच के महत्व को सामने लाता है। नेशनल जियोग्राफिक के अनुसार, शोधकर्ताओं की एक अन्य टीम ने बीते महीने दक्षिण भारत में एक खास तरह की मछली की खोज की थी। ईल की तरह दिखने वाली इस मछली का नाम ड्रैगन स्नेकहैड्स है।
स्टडी के लीडर और सेंकेनबर्ग नेचुरल हिस्ट्री कलेक्शन्स में इचियोलॉजिस्ट राल्फ ब्रिट्ज ने बताया कि मछली के नए परिवार की खोज करना बहुत ही असामान्य है। इस परिवार में मछलियों की केवल दो ही प्रजातियां रहती हैं। जिसमें से एक का नाम गोलम स्नेकहैड है। ताजा अध्ययन में कहा गया है ‘अंडमान के एंफीबियन प्राणियों का हाल के वर्षों में लगातार सर्वेक्षण किया गया, लेकिन इन द्वीपों पर अब तक रैकोफोराइड फैमिली का पता नहीं चला।’स्टडी में कहा गया है, ‘लेकिन आश्चर्य की बात है कि उत्तरी और मध्य अंडमान निकोबार में पेड़ों पर रहने वाले मेढक की प्रजाति सामान्य है।’