RBI ने तो ब्याज दर नहीं बढ़ाई, फिर क्यों महंगे हो रहे हैं लोन?
Updated on
12-08-2023 01:48 PM
नई दिल्ली: गुरुवार को रिजर्व बैंक ने रीपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखते बैंकों के लिए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन शुक्रवार को कई सरकारी बैंकों ने अपनी लेंडिंग रेट बढ़ा दी। बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), केनरा बैंक, बैंक ऑफ महराष्ट्रा ने MCLR लोन दर में 0.10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है। बैंकों के इस कदम से MCLR से जुड़ी मासिक किस्त (EMI) बढ़ जाएगी।
MMW फाइनेंशल सर्विसेज के फाइनेंस मेंटॉर विशेष गांधी कहते हैं, 'बैंक ग्राहकों को न तो इस बारे में बताते है कि रेट में बढ़ोतरी का उनके EMI पर क्या असर होगा और न ही उन्हें लोन रिसेट करने का ऑप्शन देते हैं। जब भी रेट बढ़ते हैं ग्राहकों से कम्यूनिकेट किए बिना उनका टेन्योर इतना ब़ढ़ाते जाते हैं कि उसे चुकाने में वर्षों लग जाते हैं। एेसे में आरबीआई की टेन्योर को रिसेट करने की गाइडलाइन आने के बाद कस्टमर्स के लिए बहुत राहत भरा कदम होगी।' गांधी का कहना है कि इस समय सप्लाई चैन की समस्या है और डिमांड काफी है। एेसे में अतिरिक्त नगदी को सिस्टम से निकालने व महंगाई पर कंट्रोल करने के लिए बैंक लोन की दर को बढ़ा रहे हैं।
किस पर होगा असर हालांकि विभिन्न बैंकों द्वारा MCLR बढ़ोतरी किए जाने से केवल वे ग्राहक प्रभावित होंगे, जिनकी ब्याज दरें MCLR पर आधारित हैं। दरअसल 1 अक्टूबर 2019 से बैंकों को अपने लोन पर ब्याज दरों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना की छूट दी गई है, इसलिए रीपो रेट बेस्ड लोन लेने वाले ग्राहकों पर इसका कोई असर नहीं होगा, यानी उनकी लोन की EMI नहीं बढ़ेगी।
फाइनेंशल प्लानर कार्तिक झवेरी का कहना है कि कितने ग्राहकों को पता है कि उनके लिए कौनसा ऑप्शन सही है। आरबीआई के फ्रेमवर्क आने से बैंक जो बिना ग्राहक को बताए खुद के फायदे के लिए टेन्योर बढ़ाने का काम करते हैं, उस पर रोक लगेगी। ग्राहक को फ्लोटिंग से फिक्स और फिक्स से फ्लोटिंग में आना और अपनी EMI को बेहतर तरीके से रीसेट करने का मौका मिल सकेगा। झवेरी का कहना है कि ग्राहकों को यही नहीं बताया जाता कि MCLR से जुड़ी मासिक किस्त और रीपो रेट बेस्ड लोन लेने वाले ग्राहकों पर इन बदलावों का क्या असर होता है। ग्राहकों का MCLR से ही मासिक किस्त (EMI) जुड़ी है, बेहतर है कि ग्राहक अभी फ्लोटिंग की तरफ ही रहें।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को लोन की अवधि तथा मासिक किस्त (EMI) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। अलग-अलग बैंकों से बातचीत के आधार पर RBI ईएमआई को लेकर जल्द ही एक गाइडलाइंस ला सकती है। बैंकों को कंज्यूमर्स के हितों के संरक्षण के मकसद से लोन की EMI के ब्याज दर और टेन्योर को लेकर अधिक पारदर्शिता लाने की पहल करनी होगी।
क्या है EMI पर प्रस्ताव: RBI के अनुसार अगर जरूरी न हो तो लोन के लंबे टेन्योर से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाने का मामला अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। बैंकों को ऐसे मामलों की निगरानी करने की जरूरत है। बैंक बोर्ड को इनडिविजुअल की क्षमता को ध्यान में रखते हुए लोन की अवधि तय करने की जरूरत है। आरबीआई जल्द ही इस पर विस्तार से गाइडलाइंस जारी करेगा। इसके तहत बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। फ्लोटिंग से फिक्स्ड ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी।
किसने कितनी बढ़ाई: बैंक ऑफ बड़ौदा ने MCLR में 5 BPS की बढ़ोतरी की है। BoB ने शेयर बाजार को बताया कि एक साल की MCLR को संशोधित कर 8.70 प्रतिशत किया गया है। यह अभी 8.65 प्रतिशत है। नई दरें 12 अगस्त से प्रभावी होंगी। वहीं Canara Bank ने भी MCLR में 0.05 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह अब बढ़कर 8.70 प्रतिशत हो गई है। नई दर 12 अगस्त से प्रभावी होगी। बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) ने MCLR में 0.10 प्रतिशत की वृद्धि की है।
BoM ने शेयर बाजार को बताया, इसके साथ ही एक साल की MCLR 8.50 प्रतिशत से बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई है। संशोधित दरें 10 अगस्त से प्रभावी हैं। बैंकों के इस कदम से एमसीएलआर से जुड़ी मासिक किस्त (EMI) बढ़ जाएगी, क्योंकि, इससे संबंधित बेंचमार्क दरों से जुड़े टर्म लोन पर EMI भी बढ़ने की संभावना है।
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