व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं। मॉस्को के ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस में पुतिन ने 33 शब्दों में शपथ ली। यह वही जगह है, जहां रूस के जार परिवार के 3 राजाओं (एलेक्जेंडर 2, एलेक्जेंडर 3 और निकोलस 2) की ताजपोशी हुई थी।
शपथ के बाद पुतिन ने कहा, "हम और मजबूत होंगे। हम उन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करेंगे जो हमें दुश्मन समझते हैं। मैं जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगा।" रूस में 15-17 मार्च को हुए चुनाव में पुतिन को 88% वोट मिले थे। उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को सिर्फ 4% वोट मिले थे।
रूस में हुए पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह का अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने बहिष्कार किया है। हालांकि, भारत के राजदूत विनय कुमार कार्यक्रम में मौजूद रहे। पुतिन ने साल 2000 में पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसके बाद से 2004, 2012 और 2018 में भी वे राष्ट्रपति बन चुके हैं।
पुतिन के संबोधन की 4 बड़ी बातें...
शपथ के बाद अपनी स्पीच में पुतिन ने कहा कि हम पश्चिमी देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। यह उन पर निर्भर करता है कि वे हमसे बातचीत करना चाहते हैं या नहीं।
पश्चिमी देशों ने लगातार रूस में विकास को रोकने की कोशिश की है। वे सालों से हमारे खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाते आए हैं।
हम यूरोप और एशिया में अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर के लिए काम करते रहेंगे। हम चाहते हैं कि सभी देशों के पास एक जैसी सुरक्षा व्यवस्था हो।
आजादी और एकता बनाए रखने के लिए रूस का सोशल-पॉलिटिकल सिस्टम लचीला होना चाहिए। हमें हर वक्त किसी भी चुनौती या खतरे के लिए तैयार रहना होगा।
शपथ ग्रहण में कौन-कौन शामिल हुआ
शपथ ग्रहण समारोह में रूस की फेडरेल काउंसिल के सदस्य (सीनेट के सांसद), स्टेट डूमा के सदस्य (निचले सदन के सांसद), हाईकोर्ट के जज, अलग-अलग देशों के राजदूत और डिप्लोमैटिक कॉर्प्स शामिल हुए। 2018 में पुतिन के चौथे शपथ ग्रहण में जर्मनी के पूर्व चांसलर जेरहार्ड श्रोडर समेत करीब 6 हजार लोग मौजूद रहे थे। इसका लाइव टेलिकास्ट भी किया गया था।
समारोह के बाद रूस के ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पेट्रिआर्क ने राष्ट्रपति के साथ कैथेड्रल चर्च में प्रार्थना की। यह प्रथा साल 1498 से जारी है, जब मॉस्को के प्रिंस दिमित्री इवानोविच का विवाह हुआ था। सेरेमनी की शुरुआत में रूस का प्रेसिडेंशियल बैंड वही धुन बजाता है, जो 1883 में एलेक्जेंडर 3 की ताजपोशी के वक्त बजाई गई थी।
रूस में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की प्रक्रिया
क्रेमलिन पैलेस के अलेक्जेंडर हॉल में रूस का झंडा और ‘रशियन स्टैंडर्ड ऑफ द प्रेसिडेंट’ का फ्लैग लाया जाता है। इस झंडे पर रूस का एम्ब्लम (प्रतीक चिन्ह) बना होता है। रूस की संवैधानिक कोर्ट के अध्यक्ष संविधान की कॉपी को पोडियम पर रखते हैं। इसके अलावा यहां राष्ट्रपति की चेन ऑफ ऑफिस भी रखी जाती है।
शपथ ग्रहण में इस्तेमाल होने वाली संविधान की कॉपी बेहद खास होती है। इसका कवर लाल रंग का होता है। इस पर सुनहरे रंग से 'कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ रशिया' लिखा होता है। इसके अलावा सिल्वर रंग में रूसी ‘कोट ऑफ आर्म्स’ की तस्वीर बनी होती है। संविधान की इस कॉपी को राष्ट्रपति की लाइब्रेरी में रखा जाता है।
चेन ऑफ ऑफिस राष्ट्रपति पद का प्रतीक होती है। इसके बीच में 'ऑर्डर फॉर मेरिट टु द फादरलैंड' का रेड क्रॉस बना होता है। क्रॉस के पीछे गोलाकार में 'बेनिफिट, ऑनर एंड ग्लोरी' लिखा होता है।
संविधान की कॉपी पर हाथ रखकर शपथ लेते हैं राष्ट्रपति
शपथ के लिए स्टेज पर रूस की संसद के दोनों सदनों के अध्यक्ष और संवैधानिक कोर्ट के प्रेसिडेंट मौजूद होते हैं। शपथ ग्रहण की तैयारियां पूरी होने के बाद नए राष्ट्रपति को इसकी सूचना दी जाती है। इसके बाद उनका काफिला ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस पहुंचता है। यहां सेंट जॉर्ज हॉल और सेंट एंड्र्यू हॉल को पार करते हुए नए राष्ट्रपति एलेक्जेंडर हॉल पहुंचते हैं।
रूस के नए राष्ट्रपति संविधान की कॉपी पर दाहिना हाथ रखकर पद की शपथ लेते हैं। इसके बाद कॉन्स्टीट्यूश्नल कोर्ट के अध्यक्ष उन्हें चेन ऑफ ऑफिस देते हैं और राष्ट्रपति की शपथ पूरी होने की घोषणा करते हैं। क्रेमलिन पैलेस में राष्ट्रगान होता है। इस दौरान राष्ट्रपति पैलेस के गुंबद पर ‘रशियन स्टैंडर्ड ऑफ द प्रेसिडेंट’ का झंडा फहराया जाता है।
इसके बाद नए राष्ट्रपति भाषण देते हैं। फिर राष्ट्रपति के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इस समारोह का अंत कैथेड्रल स्क्वायर पर होता है। यहां राष्ट्रपति रूसी सेना के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर रेजीमेंट का निरीक्षण करते हैं। इसके बाद क्रेमलिन रेजीमेंट मार्च पास्ट करती है।
साल 2012 में पुतिन के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह पर करीब साढ़े 5 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। हालांकि, साल 2018 में सेरेमनी पर खर्च का डेटा सामने नहीं आया।
2036 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं पुतिन
रूसी संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। इसके चलते 8 मई 2008 को पुतिन ने प्रधानमंत्री रह चुके दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया और खुद PM बन गए थे। नवंबर 2008 में दिमित्री ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया।
इसके बाद 2012 में पुतिन फिर से रूस के राष्ट्रपति बने। उन्होंने लगातार राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया और देश की जनता को सोवियत यूनियन वाला रसूख वापस दिलाने के सपने दिखाए। 2014 में पुतिन ने क्रीमिया पर हमला कर उसे रूस के कब्जा में कर लिया। जनवरी 2020 में पुतिन ने संविधान संशोधन के जरिए दो टर्म तक राष्ट्रपति रहने की सीमा खत्म कर दी। इसे सही साबित करने के लिए रूस में जनमत संग्रह भी करवाया गया।
इसमें करीब 60% वोटरों ने हिस्सा लिया जिसमें 76% ने पुतिन के फैसले का समर्थन किया। इसी के साथ पुतिन के 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया। इससे पुतिन सोवियत संघ पर करीब तीन दशकों तक राज करने वाले स्टालिन से आगे निकल सकते हैं।
फोर्ब्स के मुताबिक, 2013 से लेकर 2016 तक लगातार 4 बार व्लादिमिर पुतिन को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स घोषित किया गया था। व्लादिमीर पुतिन रूस के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते हैं। पुतिन की बेटियों की गिनती रूस की सबसे अमीर लड़कियों में होती है। इसके अलावा रूसी अरबपतियों के ग्रुप ‘ऑलिगार्की’ पर भी पुतिन की पकड़ काफी मजबूत है।