ईरान के तबरिज शहर में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी समेत हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे गए सभी 9 लोगों की अंतिम यात्रा निकाली जा रही है। न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक, यात्रा के दौरान लाखों लोगों की भीड़ सड़कों पर उतर आई। लोगों के हाथ में रईसी की तस्वीर और ईरान का झंडा था।
राष्ट्रपति को विदाई देते वक्त शहर के लोग रोते नजर आए। ईरान में राष्ट्रपति की मौत पर 5 दिन के शोक की घोषणा की गई है। तबरिज शहर में अंतिम यात्रा के बाद राष्ट्रपति के शव को तेहरान लाया गया। 23 मई को उन्हें ईरान के मशहद शहर में दफनाया जाएगा। यह वही शहर है, जहां रईसी का जन्म हुआ था।
दरअसल, 19 मई को रईसी का हेलिकॉप्टर ईरान-अजरबैजान बॉर्डर के पास क्रैश हो गया था। इसमें विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियान समेत कुल 9 लोग सवार थे। सभी के शवों को सोमवार को तबरिज शहर लाया गया।
भारत में ईरानी राष्ट्रपति की मौत पर शोक, तिरंगा आधा झुकाया गया
ईरान के अलावा भारत, पाकिस्तान, लेबनान जैसे कई देशों में रईसी की मौत पर शोक मनाया गया। भारत ने सोमवार को राष्ट्रपति रईसी की मौत पर 21 मई को एक दिन के शोक की घोषणा की थी। ऐसे में आज संसद भवन समेत सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका नजर आया।
जहां रईसी की मौत हुई, वहां इजराइल के मोसाद का गढ़ था
राष्ट्रपति की मौत की जांच के नतीजे अभी आने हैं, लेकिन बड़ा सवाल क्रैश साइट अजरबैजान को लेकर है। ईरान के पड़ोसी देश अजरबैजान से तनाव पूर्ण संबंध रहे हैं। अजरबैजान मध्य एशिया का इकलौता मुस्लिम देश है, जिसके इजराइल के साथ दोस्ताना रिश्ते हैं।
रईसी का हेलिकॉप्टर अजरबैजान के पास जहां क्रैश हुआ वो पहाड़ी वाला दुर्गम इलाका इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद का गढ़ रहा है। यहां पर मोसाद के कई खुफिया एजेंट सक्रिय हैं। पिछले साल ईरान ने अजरबैजान में रहकर इजराइल के लिए जासूसी करने के आरोप में एक महिला समेत चार लोगों को फांसी दी थी। फिलहाल ईरान ने खराब मौसम को क्रैश का कारण बताया है।
दूसरी तरफ, ईरान में रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश की जांच शुरू हो गई है। न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक, ईरानी आर्म्ड फोर्सेज के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बघेरी ने एक हाई-रैंकिंग डेलिगेशन को जांच का जिम्मा सौंपा है। इसका नेतृत्व ईरान के ब्रिगेडियर अली अब्दुल्लाही कर रहे हैं। इसके लिए वे हेलिकॉप्टर क्रैश की लोकेशन पर भी पहुंच चुके हैं।
सवाल... मौसम खराब था तो सड़क मार्ग से क्यों नहीं ले गए
ईरान में एविएशन का खराब रिकॉर्ड है। इसके बावजूद राष्ट्रपति रईसी ने अमेरिकी के 45 साल पुराने बेल हेलिकॉप्टर में उड़ान भरी। प्रतिबंधों के कारण ईरान को कलपुर्जे नहीं मिल पाते हैं। सवाल उठता है कि खराब मौसम के बाद भी पायलट ने पुराने हेलिकॉप्टर के साथ रिस्क लेकर उड़ान क्यों भरी।
अब जांच के बाद ही ये साफ होगा कि सुप्रीम धर्मगुरु खामेनेई के उत्तराधिकारी माने जाने वाले राष्ट्रपति रईसी को लेकर ये जोखिम भरी उड़ान क्यों भरी गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि रईसी को 150 किमी तक सड़क मार्ग से ले जाया जा सकता था।
धर्मगुरुओं और सेना के बीच टकराव की आशंका गहराई
ईरान में राष्ट्रपति की मौत के बाद भारत और अमेरिका समेत दुनिया भर के लोगों के बीच यह सवाल उठने लगा कि अब देश की सत्ता कौन संभालेगा। दरअसल, ईरान में राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव मैदान में उतरना पड़ता है। हालांकि, 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद सत्ता की कमान कौन संभालेगा इसका फैसला बहुत हद तक सुप्रीम लीडर ही करते हैं।
ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई हैं। वह जिसे समर्थन देते हैं सत्ता में आना उनका लगभग तय होता है। देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए नेताओं-धर्मगुरुओं और सेना के बीच सामंजस्य होना जरूरी होता है। इस कारण यह आशंका जताई जा रही है कि उनकी मौत के बाद इन सभी के बीच सत्ता संघर्ष का खतरा पैदा हो सकता है।