घटने वाली है पेट्रोल-डीजल की कीमत! जनवरी के बाद सबसे कम हुआ कच्चे तेल का रेट
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05-09-2024 11:43 AM
नई दिल्ली: महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए गुड न्यूज है। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में जल्दी ही कटौती हो सकती है। इसकी वजह यह है कि कच्चे तेल की कीमत जनवरी के बाद से सबसे कम स्तर पर आ गई हैं। इससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के प्रॉफिट में इजाफा हुआ है और पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती की गुंजाइश बन गई है। महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमत से राहत मिल सकती है। अभी देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से ज्यादा है जबकि डीजल भी 90 रुपये के आसपास है।
बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत का भारत की कच्चे तेल की खरीद लागत पर असर पड़ता है। बुधवार को इसकी कीमत 73.58 डॉलर प्रति बैरल रह गई। मंगलवार को इसकी कीमत में 5% की गिरावट आई और यह इस साल के रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब पहुंच गया। खासकर चीन में मांग में सुस्ती को लेकर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है। जानकारों का कहना है कि लीबिया की सप्लाई मार्केट में वापसी, ओपेक+ ग्रुप के अक्टूबर से स्वैच्छिक उत्पादन कटौती को वापस लेने और ग्रुप के बाहर के स्रोतों से उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण अधिक आपूर्ति की संभावना तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ा रही है।
बढ़ गया मार्जिन
तेल की कीमतों में लगातार गिरावट ने फ्यूल रिटेलर खासकर सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन बढ़ा दिया है। घरेलू बाजार में इन कंपनियों की 90% हिस्सेदारी है। सरकार ने आम चुनाव से ठीक पहले 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। यह मई 2022 के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत में पहली कटौती थी। अप्रैल में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि इस कटौती के बावजूद सरकारी कंपनियों ने अप्रैल में 2 रुपये प्रति लीटर से अधिक का मार्जिन कमाया। तब भारतीय बास्केट के लिए कच्चे तेल की एवरेज कीमत $89.44 प्रति बैरल थी। अब तक यह और बढ़ गया होगा क्योंकि सितंबर में इसका एवरेज $76 था।
लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती करेगी या नहीं। वित्तीय सेवा कंपनी यूबीएस ने तेल बाजार में कम आपूर्ति रहने पर दांव लगाया है। उसका कहना है कि निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। गोल्डमैन सैश ने भी इसके $70-85 प्रति बैरल बने रहने का अनुमान लगाया है। यदि मौजूदा कम कीमतें लंबे समय तक नहीं टिकती हैं और 85 डॉलर पर स्थिर हो जाती हैं तो भी सरकार आरामदायक स्थिति में होगी। इससे वह सरकारी रिटेलर्स को पेट्रोल-डीजल की कीमत स्वैच्छिक रूप से स्थिर रखने के लिए कह सकती है।
क्यों नहीं बढ़ाई कीमत
पेट्रोलियम मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर हाल ही में एक पोस्ट में कहा था कि पूरी दुनिया पिछले तीन साल के दौरान 40-70% फ्यूल इन्फ्लेशन का सामना कर रही थी लेकिन भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई। पीएम नरेंद्र मोदी नहीं चाहते थे कि हमारे लोगों खासकर गरीबों पर बढ़ोतरी का कोई असर हो।
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