पाकिस्तान के दुश्मन टीटीपी ने जमकर की भारत की तारीफ, मुल्क की हालत पर जताया अफसोस
Updated on
16-08-2023 02:04 PM
इस्लामाबाद: तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी), यह आतंकी संगठन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुका है। देश में इसकी वजह से कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा रहा है। 14 अगस्त को जब मुल्क का स्वतंत्रता दिवस था तो उस मौके पर टीटीपी ने जो कुछ कहा, उसके बाद पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ गई होंगी। टीटीपी ने न सिर्फ भारत की तेजरी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का जिक्र पाकिस्तान के सामने किया बल्कि उसे आगाह भी किया है। टीटीपी ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर असली आजादी की अपील की है। साथ ही उसने एक बार फिर पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने की बात कही है।
पाकिस्तान की हालत पर अफसोस टीटीपी ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर उसकी हालत पर अफसोस जताया है। टीटीपी ने बधाई के साथ ही उसे आईना भी दिखाया। भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का उदाहरण देकर उसने पाकिस्तान के जख्मों पर नमक छिड़का है। टीटीपी ने कहा है कि 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान को जो आजादी मिली, वह उसका फायदा नहीं उठा पाया है। संगठन का कहना है कि आर्थिक संकट, गरीबी, हिंसा, भ्रष्टाचार, इस्लामिक सिस्टम की कमी ने देश को शांति और समृद्धशीलता से दूर कर दिया है। इसके साथ ही टीटीपी ने मुल्क में मौजूद संकट के लिए पाकिस्तान की आर्मी को दोष दिया है।
भारत की तारीफ टीटीपी ने कहा कि आजादी के 76 साल बाद भी पाकिस्तान एक आत्मनिर्भर देश के तौर पर विकसित नहीं हो सका है। इसके बाद टीटीपी ने भारत का उदाहरण दिया। संगठन ने कहा कि आज भारत दुनिया की पाचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। संगठन ने इसके अलावा टीटीपी ने अफगानिस्तान और बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति की भी सराहना की। आतंकवादी संगठन ने देश में आर्थिक संकट के लिए पाकिस्तानी सेना और अभिजात वर्ग को जिम्मेदार ठहराया है। संगठन का कहना कि इनकी वजह से ही देश पिछले 76 सालों में कुछ नहीं कर पाया है। टीटीपी ने कहा है कि जल्द ही वह पाकिस्तान को शरिया कानून के साथ असली आजादी दिलाएगा। क्या है टीटीपी का मकसद साल 2007 में अफगानिस्तान तालिबान से अलग होकर टीटीपी बना था। इसके बाद से पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से यह संगठन पाकिस्तान को निशाना बनाने में लगा हुआ है। संगठन की मांग है कि देश में इस्लामिक कानून लागू किया जाए। साथ ही वह सरकार पर अपने कई बड़े आतंकियों की रिहाई के लिए भी दबाव डाल रहा है। टीटीपी की ख्वाहिश है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों के विलय करने वाले फैसले को पलट दिया जाए।
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