नई दिल्ली । ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन के 70 फीसदी तक प्रभावी होने का दावा किया जा रहा है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि उनकी वैक्सीन की दूसरी खुराक के 14 दिन बाद ही संक्रमित व्यक्ति खतरे से बाहर आ जाएगा। आइए जानते हैं कि भारत के नजरिये से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह वैक्सीन कितनी कारगार साबित हो सकती है। एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन की मरीज को दो डोज देनी होंगी। वहीं, एमआरएनए जैसी कोरोना वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना तीन डोज वाली वैक्सीन है। ऐसे में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कम आपूर्ति होने पर भी ज्यादा से ज्यादा मरीजों को दी जा सकती है। वहीं, अन्य वैक्सीन के मुकाबले एस्ट्रेजेनका वैक्सीन का असर 90 फीसदी ज्यादा है। एस्ट्राजेनेका ने 131 कोरोना मरीजों पर इसका परीक्षण कर असर का आकलन किया है। कंपनी ने वैक्सीन के असर पर सभी आशंकाओं का जवाब देते हुए कहा कि अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। कंपनी दुनिया भर के अधिकारियों को डाटा इकट्ठा करने के लिए भी तैयार करेगी।
कंपनी के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन फाइजर, मॉडर्ना और रूस की स्पुत्निक-वी से बेहतर है। दरअसल, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत के तापमान में सुरक्षित रखा जा सकता है। बता दें कि 10 देशों में इसको बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पहले ही इसकी 100 मिलियन डोज इस साल के अंत तक देने की बात कर चुका है। वहीं, यूके, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में परीक्षणों से अब तक 24,000 वॉलेंटियर्स के डाटा का विश्लेषण किया जा चुका है।