सऊदी अरब से NSA अजित डोभाल का मैसेज यूक्रेन में शांति जरूरी लेकिन दोस्त रूस उससे ज्यादा जरूरी
Updated on
07-08-2023 02:11 PM
जेद्दा: सऊदी अरब के जेद्दा में वीकएंड पर 40 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की भीड़ इकट्ठा थी। भारत से एनएसए अजित डोभाल भी यहां पर मौजूद थे। सम्मेलन में डोभाल के नेतृत्व में यूक्रेन पर एक शांति फॉर्मूला तैयार किया गया। डोभाल ने इस मीटिंग से दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि यूक्रेन में शांति जरूरी है लेकिन रूस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। डोभाल ने सुझाया है कि यूक्रेन के लिए जो भी प्रस्ताव बने उसमें रूस का होना बहुत जरूरी है। उनका बयान यह बताने के लिए भी काफी है कि भारत के लिए रूस की दोस्ती आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी युद्ध के पहले थी।
डोभाल ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन में शांति का समाधान ऐसा होना चाहिए जो रूस के विचारों से मेल खाता हो और सभी को मान्य हो। किसी भी शांति समझौते के लिए रूस को भी शामिल किया जाना चाहिए। डोभाल ने कहा, 'वर्तमान में, कई शांति प्रस्ताव सामने रखे गए हैं। हर प्रस्ताव में कोई न कोई सकारात्मक बात है लेकिन दोनों पक्ष कोई भी शांति प्रस्ताव स्वीकार नहीं है। ऐसे में इस मीटिंग में ध्यान देने की जरूरत है कि क्या कोई ऐसा समाधान तलाशा जा सकता है जो सभी को मंजूर हो।' रूस इस मीटिंग में शामिल नहीं था। मगर यूक्रेन ने अपना 10-प्वाइंट वाला शांति फार्मूला पेश किया है। अभी इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि कितने देशों ने इस फॉर्मूले का समर्थन किया।
भारत भी चाहता है शांति सूत्रों की मानें तो डोभाल ने मीटिंग में यह साफ कर दिया है कि भारत एक स्थायी और व्यापक समाधान खोजने के लिए सक्रिय और इच्छुक भागीदार बना रहेगा। उन्होंने आगे बढ़ने के रास्ते के तौर पर बातचीत और कूटनीति पर भारत के फोकस को दोहराया। डोभाल ने मीटिंग में बताया कि युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत नियमित तौर पर रूस और यूक्रेन के साथ उच्चतम स्तर पर बातचीत करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र (यूएन) चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का समर्थन करता है। साथ ही सभी देशों की तरफ से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान बरकरार रखा जाना चाहिए। रूस के साथ गहरे संबंध डोभाल के बयान के साथ ही यह बात भी स्पष्ट हो गई है कि भारत के लिए रूस का साथ आज भी जरूरी है। चीन की तरह ही भारत ने रूस के साथ गहरे संबंध बनाए रखे हैं और युद्ध के लिए उसकी निंदा करने से इनकार कर दिया है। युद्ध के करीब डेढ़ साल बाद भी किसी भी बड़े मंच से भारत की तरफ से रूस की आलोचना नहीं की गई है। जेद्दा की मीटिंग जून में कोपेनहेगन में हुई वार्ता के बाद हुई है। यह एक अनौपचारिक वार्ता थी और इसका कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया। आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि मीटिंग सऊदी अरब ने एक समाधान तक पहुंचने में योगदान देने के लिए कोशिशों की बात कही है जिसके परिणामस्वरूप स्थायी शांति कायम हो सकेगी।
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