नई दिल्ली । मोदी सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए बीआईएस सर्टिफिकेशन वाले हेलमेट की ही बिक्री और निर्माण को भारत में जरूरी कर दिया है। 1 जून से देश में किसी भी गैर-बीआईएस दोपहिया हेलमेट का निर्माण या बिक्री नहीं की जा सकती है, इसका उल्लंघन अपराध माना जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हेलमेट फॉर राइडर्स ऑफ टू व्हीलर्स मोटर व्हीकल्स (क्वालिटी कंट्रोल) के तहत आदेश जारी किया है। दरअसल सड़क परिवहन मंत्रालय ने दोपहिया हेलमेट की क्वालिटी के नियंत्रण के लिए आदेश को जारी किया, ताकि सुनिश्चित हो सके कि केवल सुरक्षित हेडगियर्स, जिसे 'हेड इंजरी के लिए हेलमेट वैक्सीन' भी कहा जाता है, उन्हें ही बनाकर बेचा जाए। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि इससे देश में कम गुणवत्ता वाले दुपहिया हेलमेट की बिक्री से बचने में मदद मिलेगी, जिनसे दुर्घटनाओं में शामिल व्यक्तियों को घातक चोट आती हैं। भारत भर में लोकल हेलमेट्स की भरमार है। बहुत से लोग पैसे बचाने के चक्कर में हेलमेट्स को खरीद लेते हैं लेकिन एक्सीडेंट होने की स्थिति में ये हेलमेट्स राइडर को सुरक्षित नहीं रख पाते हैं जिससे गंभीर चोट लगने के साथ ही राइडर की जान जाने का खतरा भी बना रहता है।
खराब-गुणवत्ता वाले हेलमेट न पहनने या सड़क दुर्घटना में मरने वाले दोपहिया वाहन सवारों का सबसे बड़ा कारण है। एम्स में ट्रॉमा सर्जरी के प्रोफेसर ने बताया कि दोपहिया वाहन चालकों के एक्डेंट में लगभग 45 प्रतिशत सड़क पर लगी चोटें सिर की चोटें हैं। इन सिर की चोटों में से 30 प्रतिशत गंभीर दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें हैं, जो मौत का कारण बन सकती हैं। यहां तक कि मध्यम या हल्के सिर की चोटों का गंभीर नुकसान होता है।
2019 में हुए कुल रोड एक्सीडेंट में 38 फीसदी पीड़ित दो पहिया वाहन चला रहे थे। इसके बाद नंबर आता है ट्रक या लॉरी (14.6प्रतिशत), कार (13.7प्रतिशत) और बस (5.9प्रतिशत) का है। खराब मौसम की वजह से मात्र 2.6 हादसे हुए। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक देश के मौसम की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत में हल्के हेलमेट के लिए रोड सेफ्टी पर एक समिति बनाई गई थी। समिति में एम्स डॉक्टर और बीआईएस के अधिकारियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। मार्च 2018 में बनी समिति ने हल्के और गुणवत्तापूर्ण हेलमेट बनाने की सिफारिश की थी। इन सिफारिशों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।