अरब सागर में सोमालिया तट के पास हाईजैक हुए जहाज पर भारतीय नौसेना का ऑपरेशन शुक्रवार 5 जनवरी की रात पूरा हुआ। इसमें सवार 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया।
रेस्क्यू के समय का वीडियो सामने आया है। इसमें बंधक बनाए लोग नेवी का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। इन लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए।
दरअसल, 4 जनवरी को समुद्री लुटेरों ने जहाज को हाईजैक कर लिया था। भारतीय नौसेना ने 5 जनवरी को बताया कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था कि 4 जनवरी की शाम को 5-6 सुमद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे थे।
जानकारी मिलते ही भारतीय नौसेना ने हाईजैक किए गए जहाज को छुड़ाने के लिए वॉरशिप INS चेन्नई और मैरिटाइम पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को रवाना किया गया था।
शिप पर समुद्री लुटेरे नहीं मिले
शुक्रवार रात नौसेना के मार्कोस कमांडो ने जहाज को हाईजैकर्स से छुड़ाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया था। कमांडो रात 8 बजे के करीब जहाज में घुसे और सर्चिंग की। इस दौरान समुद्री लुटेरे जहाज पर नहीं मिले। माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना की सख्ती चेतावनी से डरकर हाईजैकर जहाज को छोड़कर भाग गए।
हाईजैक होने से पहले जहाज से आखिरी बार 30 दिसंबर को संपर्क हुआ था
हाईजैक हुआ लाइबेरिया के फ्लैग वाले जहाज का नाम लीला नोर्फोक है। मरीन ट्रैफिक के मुताबिक, जहाज ब्राजील के पोर्टो डू एकू से बहरीन के खलीफा बिन सलमान पोर्ट जा रहा था। यह 11 जनवरी को लोकेशन पर पहुंचने वाला था। वहीं, वेसल फाइंडर के मुताबिक जहाज से आखिरी बार 30 दिसंबर को संपर्क किया गया था। जहाज को किसने हाईजैक किया, इसकी जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है।
पहले भी भारतीय क्रू वाले जहाजों पर हो चुका है हमला
पिछले डेढ़ महीने में ऐसा 5वीं बार हुआ है जब भारतीय क्रू मेंबर्स वाले जहाज पर हमला हुआ है। इसके पहले 23 दिसंबर को हिंद महासागर में भारत आ रहे मालवाहक जहाज केम प्लूटो पर हमला हुआ था।इसमें 21 भारतीय और एक वियतनामी क्रू मेंबर सवार थे। सऊदी अरब से तेल लेकर भारत आ रहा यह जहाज जापान का था और लाइबेरिया के फ्लैग से ऑपरेट हो रहा था। हमले के वक्त जहाज पोरबंदर तट से 217 नॉटिकल मील (करीब 400 किमी) दूर था।
24 दिसंबर को लाल सागर में एक गेबन फ्लैग वाले ऑयल टैंकर M/V साईंबाबा पर ड्रोन से हमला हुआ था। इसमें 25 भारतीय क्रू मेंबर सवार थे। अटैक यमन के सलीफ बंदरगाह से करीब 45 समुद्री मील दक्षिण-पश्चिम में बाब अल-मंडब स्ट्रेट के पास हुआ।
14 दिसंबर को समुद्री लुटेरों ने माल्टा का जहाज हाईजैक किया था
अरब और लाल सागर में इन दिनों मर्चेंट वेसल पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इससे पहले 14 दिसंबर को भी समुद्री लुटेरों ने माल्टा के एक जहाज को हाईजैक कर लिया था।
इसके बाद नौसेना ने अपने एक युद्धपोत को अदन की खाड़ी में हाइजैक हुए जहाज MV रुएन की मदद के लिए भेजा था। जहाज को 6 लोगों ने अगवा किया था। भारतीय नौसेना ने माल्टा के जहाज से एक नाविक को रेस्क्यू किया था। यह नाविक गंभीर रूप से जख्मी था। इसका इलाज शिप पर मुमकिन नहीं था, लिहाजा उसे ओमान भेजा गया था।
द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक हाइजैक हुआ जहाज कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था। तभी सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने उस पर हमला कर दिया।
हूतियों ने भारत आ रहे जहाज को हाईजैक किया था
इससे पहले 19 नवंबर को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाइजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझकर हाइजैक किया था। हूतियों ने शिप हाइजैक करने का वीडियो भी शेयर किया था। इस जहाज में 25 भारतीय क्रू मेंबर्स थे।
जहाज हाइजैक होने की जानकारी मिलते ही नेतन्याहू ने इसका आरोप ईरान पर लगाया था। इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ईरान की ओर से अंतरराष्ट्रीय जहाज पर हमला बताया था। उन्होंने कहा था कि यह ईरान की तरफ से की गई आतंकी हरकत है। यह दुनिया पर हमले की कोशिश है। इससे दुनिया की शिपिंग लाइन भी प्रभावित होगी।
1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
सोमालिया वो मुल्क है, जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गया। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।
सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा बेड़ा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।
मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वे फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक यह धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।