नई दिल्ली । देश में कोरोना के प्रकोप के बीच डॉक्टरों से लेकर वैज्ञानिकों तक सब ने एक ही बात कही कि इस महामारी से जंग जीतनी है तो अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रांग रखें। वहीं वैज्ञानिक भी ऐसी ही कोरोन वैक्सीन तैयार कर रहे है, जो इस वायरस से लड़ने के लिए शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाए। ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल है कि शरीर में जो 'प्राकृतिक इम्यूनिटी' है, क्या वह कोरोना वैक्सीन के मुकाबले बेहतर होती है? अमेरिका में इस सवाल पर इन दिनों काफी बहस हो रही है। जाने-माने सीनेटर रैंड पॉल ने इस पर अपनी राय रखी है।
सीनेटर रैंड पॉल ने ट्वीट किया कि कोविड-19 की 'प्राकृतिक इम्यूनिटी' 99.9982 फीसदी होती है। रैंड पॉल ने लिखा कि फाइजर वैक्सीन 90 फीसदी प्रभावी है। आधुनिक टीका 94.5 फीसदी प्रभावी है, जबकि प्राकृतिक इम्यूनिटी 99.9982 फीसदी प्रभावी है, जो हमारे शरीर में खुद ही तैयार होती है। सीनेटर रैंड पॉल के इस ट्वीट के बाद बहस और तेज हो गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतना जरूर कहा जा सकता है कि संक्रमित होने पर वैक्सीन लेने के बाद इतनी इम्यूनिटी तो बनती ही है, जिससे लोग वायरस की चपेट में आ भी जाएं, तो गंभीर बीमार नहीं पड़ेंगे। अमेरिका के महामारी रोग विशेषज्ञ बिल हैनेज का कहना है कि जो लोग कोरोना से हल्के-से बीमार हैं, उनको वैक्सीन फायदा पहुंचा सकती है क्योंकि बीमार होने पर उनमें कुछ महीनों में इम्यूनिटी कम होने लगती है, ऐसे में वैक्सीन से ही फायदा होगा।