उल्कापिंड की धूल सोने से भी कीमती, नासा वैज्ञानिकों ने खोला पिटारा, दिखा अंतरिक्ष का खजाना
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05-10-2023 02:48 PM
वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के करीब के एस्टेरॉयड बेन्नू की पहली झलक देखी है। वैज्ञानिकों को उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा अच्छा नमूना मिला है। हाल ही में उल्कापिंड बेन्नू का सैंपल एक कैप्सूल के जरिए धरती पर पहुंचा है। 26 सितंबर को वैज्ञानिकों ने जब नमूने वाला कनस्तर खोला तो उन्होंने भारी मात्रा में गहरे महीन दाने वाली सामग्री खोजी। कनस्तर की दीवारों पर धूलभरे कण थे। मूल नमूने का विश्लेषण करने से पहले यह धूल जैसे कण एस्टेरॉयड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। अभी बड़े सैंपल वाले कनस्तर को नहीं खोला गया है।
सैंपल भरा कैप्सूल 24 सितंबर को अमेरिका के यूटा रेगिस्तान में लैंड हुआ। नासा ने उल्कापिंड बेन्नू के लिए ओसाइरिस रेक्स मिशन चलाया था। सात वर्षों तक चले इस मिशन के बाद सैंपल को धरती तक लाने में वैज्ञानिक कामयाब हुए। इस मिशन में नासा का अंतरिक्ष यान धरती से 32 करोड़ किमी की दूरी पर एस्टेरॉयड बेन्नू के करीब गया। मिशन के जरिए उल्कापिंड का पूरा मॉडल तैयार किया गया। इसकी तस्वीरें खींची गई। साथ ही उल्कापिंड का सैंपल भी भरा गया।
सैंपल से क्या मिलेगा
मिशन टीम ने ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में पहुंचने के अगले दिन इस कैप्सूल को खोला। इसे खोलने के लिए एक क्लीन रूम बनाया गया था। एस्टेरॉयड ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़े अवशेष हैं। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि जब ग्रह बने तो शुरुआती दिनों में किस तरह थे। हालांकि धरती के करीब का उल्कापिंड हमारे लिए खतरा भी पैदा करता है। इस तरह के उल्कापिंड भविष्य में पृथ्वी से टकरा सकते हैं। ऐसे में हमारे लिए इनका रास्ता बदलने से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सैंपल से मिल सकती है।
कब दिखेगा नमूना
अक्टूबर 2020 में जब यह अंतरिक्ष यान बेन्नू की सतह पर गया तो पत्थर उछल गए थे। अभी उल्कापिंड का वास्तविक नमूना सामने नहीं आया है। 11 अक्टूबर के बाद इस नमूने को अलग किया जाएगा, जिसके बाद दुनिया यह जान सकेगी कि आखिर यह कैसा दिखता है। ओसाइरिस रेक्स मिशन के नमूना विश्लेषण टीम की सदस्य लिंडसे केलर ने एक बयान में कहा, 'हमारे पास सभी माइक्रोएनालिटिकल तकनीकें हैं, जिन्हें हम वास्तव में इसे परमाणु के स्तर तक देख सकते हैं।' टीम उल्कापिंड बेन्नू से मिले सामग्री की जांच के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप, एक्स-रे और इन्फ्रारेड उपकरणों का इस्तेमाल करेगी।
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