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कंगाल श्रीलंका-पाकिस्तान के रास्ते पर देश के कई राज्य! लिमिट क्रॉस कर चुका है कर्ज, देखिए कौन-कौन हैं लिस्ट में

Updated on 04-09-2023 02:27 PM
नई दिल्ली: चुनावी मौसम में देश के राज्यों में आजकल मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की होड़ मची है। लेकिन सब्सिडी और दूसरी देनदारियों को चुकाते-चुकाते कई राज्यों की हालत खस्ता हो चुकी है। देश के कई राज्यों का कर्ज लिमिट को पार कर चुका है। सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक प्रोग्रेस (Centre for Social and Economic Progress) की एक रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की उधारी साल 2020-21 में 2.1 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। यह केंद्र के एक्स्ट्रा बजटरी रिसोर्स यूटिलाइजेशन का करीब आधा है। रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्य सरकारी कंपनियों से पैसा जुटाकर अपने कर्ज के बारे में असली तस्वीर छिपा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों का कर्ज फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी लॉ की अनिवार्य लिमिट से आगे पहुंच चुका है। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश की कुल देनदारियां ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (GSDP) की 35 परसेंट है लेकिन इसमें ऑफ बजट बोरोइंग शामिल नहीं है। अगर इसे मिला लिया जाए तो 2020-21 में राज्य की कुल देनदारी उसकी जीएसडीपी का 44 परसेंट पहुंच जाती है। श्रुति गुप्ता और जेविन जेम्स की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। तेलंगाना के मामले में यह अंतर करीब 10 परसेंट है। यानी राज्य की ऑफ बजट बोरोइंग को मिला लिया जाए तो उसकी कुल देनदारी 38.1 परसेंट बैठती है। केरल में यह अंतर तीन परसेंट और कर्नाटक में एक परसेंट है। रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 से इसमें इजाफा हुआ है जबकि केंद्र सरकार इसे कम करना चाहती है।

किन राज्यों की हालत खराब

रिपोर्ट के मुताबिक 11 राज्यों की कुल ऑफ बजट बोरोइंग 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड का डेटा उपलब्ध नहीं है। कुल ऑफ बजट बोरोइंग में पांच दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी 93 परसेंट है। तेलंगाना का अनुपात जीएसडीपी का 10 परसेंट है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र के एक्स्ट्रा बजटरी रिसोर्स यूटिलाइजेशन में गिरावट आई है। साल 2019 में यह आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक था लेकिन संभव है कि इनकंप्लीट आंकड़ों के कारण इसमें गिरावट आ रही है। फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का बकाया अब बजट के जरिए दिया जा रहा है जबकि एनएचएआई प्रोग्राम की फंडिंग सीधे केंद्र कर रहा है। लेकिन केंद्र के बजट में यह नहीं दिख रहा है।

सवाल उठता है कि राज्य किसके लिए उधार ले रहे हैं। इसके कई कारण हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में ऑफ बजट बोरोइंग का 35 परसेंट हिस्सा स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन ने खर्च किया है जो खाने पीने की चीजों से जुड़े वैल्यू चेन को मैनेज करता है। इसी तरह तमिलनाडु में उधारी का 96 परसेंट हिस्सा स्टेट पावर ट्रांसमिशन और जेनरेशन कंपनी की जरूरतों पर खर्च होता है। पंजाब में भी यही ट्रेंड है। तेलंगाना में ऑफ बजट बोरोइंग का 37 फीसदी हिस्सा कलेश्वरम इरिगेशन प्रोजेक्शन कॉरपोरेशन ने खर्च किया।


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