किन राज्यों की हालत खराब
रिपोर्ट के मुताबिक 11 राज्यों की कुल ऑफ बजट बोरोइंग 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड का डेटा उपलब्ध नहीं है। कुल ऑफ बजट बोरोइंग में पांच दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी 93 परसेंट है। तेलंगाना का अनुपात जीएसडीपी का 10 परसेंट है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र के एक्स्ट्रा बजटरी रिसोर्स यूटिलाइजेशन में गिरावट आई है। साल 2019 में यह आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक था लेकिन संभव है कि इनकंप्लीट आंकड़ों के कारण इसमें गिरावट आ रही है। फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का बकाया अब बजट के जरिए दिया जा रहा है जबकि एनएचएआई प्रोग्राम की फंडिंग सीधे केंद्र कर रहा है। लेकिन केंद्र के बजट में यह नहीं दिख रहा है।सवाल उठता है कि राज्य किसके लिए उधार ले रहे हैं। इसके कई कारण हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में ऑफ बजट बोरोइंग का 35 परसेंट हिस्सा स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन ने खर्च किया है जो खाने पीने की चीजों से जुड़े वैल्यू चेन को मैनेज करता है। इसी तरह तमिलनाडु में उधारी का 96 परसेंट हिस्सा स्टेट पावर ट्रांसमिशन और जेनरेशन कंपनी की जरूरतों पर खर्च होता है। पंजाब में भी यही ट्रेंड है। तेलंगाना में ऑफ बजट बोरोइंग का 37 फीसदी हिस्सा कलेश्वरम इरिगेशन प्रोजेक्शन कॉरपोरेशन ने खर्च किया।