नई दिल्ली । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी व उसके काफिले पर हमला करने के मामले में माफिया डॉन बृजेश सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने दिया है। इस घटना को लेकर गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में बृजेश सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। मुकदमे का ट्रायल स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए प्रयागराज में चल रहा है। बृजेश सिंह इस समय वाराणसी जेल में बंद है। जमानत अर्जी में मुकदमे का विचारण लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी। घटना की प्राथमिकी मुख्तार अंसारी ने 15 जुलाई 2001 को दर्ज कराई थी। आरोप है कि मुख्तार अंसारी अपने काफिले के साथ चुनाव क्षेत्र मऊ जा रहे थे तो रास्ते में खड़े एक ट्रक में छिपकर बैठे बृजेश सिंह और अन्य लोगों ने स्वचलित हथियारों से काफिले पर हमला कर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। हमले में मुख्तार के गनर रामचंद्र राय व दो अन्य की मौत हो गई जबकि 11 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में एक व्यक्ति बृजेश सिंह के गैंग का भी बताया जाता है। जमानत के समर्थन में कहा गया कि याची पिछले 12 वर्षों से जेल में बंद है। हमले में कर्बाइन के इस्तेमाल की बात कही गई है जबकि मृतकों और घायलों को लगी गोलियों में काबाईन की गोलियां नहीं हैं। मुकदमे का ट्रायल स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए प्रयागराज में चल रहा है। लेकिन अब तक अभियोजन की ओर से एक भी गवाह पेश नहीं किया गया। यह भी कहा गया कि मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद किया गया है। वह चिकित्सकीय आधार पर बयान देने के लिए कोर्ट नहीं आ रहे हैं। मुख्तार के वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याची को 1986 में पेरोल दिया दिया था, जिसके बाद वह 20 वर्षों तक फरार रहा। यदि उसे जमानत दी जाती है तो फिर से फरार होने की आशंका है। सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि घटना काफी गंभीर है। इसमें 11 लोगों को गोलियों की गंभीर चोटें आई हैं। घटना के कई चश्मदीद गवाह हैं। कोर्ट ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।