भारत के जागरुक मतदाताओं की यही विशेषता है कि वह कभी-कभी ऐसा जनादेश देता है जिसमें जीतने वाले को छप्पर फाड़ बहुमत मिल जाता है और हारने वाले को हताशा और निराशा की वादियों में आत्मचिन्तन करने के लिए भेज देता है। लेकिन इस बार 2024 के आमचुनाव में देश के मतदाताओं ने ऐसा जनादेश दिया है जिसमें जीतने वाला तो बम-बम है ही, हारने वाले की भी खुशियां बरकरार हैं और वह भी बम-बम हो रहा है क्योंकि एक तो उसे अपनी उम्मीद से अधिक सफलता मिल गयी और दूसरे बहुमत से कुछ कदम ही पीछे रह गया है। देश के दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधन इस चुनाव में आमने-सामने थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में एनडीए ने 295 सीटें जीतकर मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने वाला दूसरा नेता बना दिया है । अभी तक इस सूची में केवल पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का नाम ही था अब उसमें मोदी का नाम शामिल हो गया है। इन चुनाव नतीजों में यह भी मजेदार बात रही कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाला एनडीए 400 पार के नारे के साथ चुनाव लड़ रहा था तो वहीं इंडिया गठबंधन के अधिकांश नेता 295 का लक्ष्य लेकर चल रहे थे लेकिन 295 के आंकड़े पर एनडीए रह गया जबकि इंडिया गठबंधन को 233 सीटें मिलीं। इंडिया गठबंधन इस बात को लेकर बम-बम है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा से वह कुछ कदम ही पीछे रहा है क्योंकि भाजपा को 240 सीटें मिली हैं जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव से 63 कम हैं, जबकि इंडिया गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस इसलिए बेहद खुश व आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है कि उसे 47 अतिरिक्त सीटों के साथ 99 सीटें प्राप्त हुई हैं। लेकिन अब कांग्रेस 99 के फेर से उबर चुकी है और उसे दो निर्दलियों का समर्थन मिल गया है।
नरेन्द्र मोदी रविवार 9 जून को शाम सवा सात बजे तीसरी बार प्रधान मंत्री के पद व गोपनीयता की शपथ ले लेंगे और इसके साथ ही उनकी तीसरी पारी आरंभ हो जायेगी। भाजपा के लिए संतोष की बात यह है कि एक तो उसकी सरकार बन रही है और दूसरे उसने अकेले जितनी सीटें जीती हैं उतना इंडिया गठबंधन मिलकर भी नहीं जीत पाया और उससे पांच-सात कदम पीछे रह गया। एनडीए सरकार की दो बड़ी बैसाखी चन्द्र बाबू नायडू और नीतीश कुमार हैं, दोनों ने मोदी के नेता चुने जाने पर अपनी-अपनी बात अपने-अपने ढंग से कही है। नायडू का कहना है कि मोदी राइट टाइम पर राइट लीडर हैं, हम एक हैं और तीन महीने से पीएम ने आराम नहीं किया है, लगातार उसी ऊर्जा से काम करते रहे हैं। आंध्र में उनकी रैलियों से बड़ा फर्क पड़ा है और हमने बड़े मार्जिन से चुनाव जीता है। मोदीजी की नीतियों से 2047 तक भारत ग्लोबल लीडर बनेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मोदी जी जल्द ही काम आरंभ करें, हम उनका समर्थन करते हैं, अगली बार आप (मोदी ) आइएगा न- तो इस बार हम देख रहे हैं कि इधर-उधर जो कुछ जीत गया है वह सब हारेगा, इस बार लोगों को जो मौका मिला है उन लोगों के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहेगा वह सब खत्म हो जायेगा।
दूसरी ओर इंडिया गठबंधन भी सदन के अंदर और बाहर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने का कोई भी अवसर अपने हाथ से नहीं जाने देगा। इंडिया गठबंधन की अगुवाई का सवाल है उसका चेहरा दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे ही बने रहेंगे ताकि अधिकांश मुद्दों पर सदन में विपक्ष एकजुट रह सके। राहुल गांधी आक्रामक भूमिका में आ गये हैं और उन्होंने निवृत्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए शेयर बाजार में उथल-पुथल को एक घोटाला निरुपित करते हुए जेपीसी से जांच कराने की मांग की है। नई सरकार के गठन से पहले ही राहुल गांधी ने शेयर बाजार में हुई भारी उथल-पुथल का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि 4 जून को स्टॉक मार्केट में जिस तरह उतार-चढ़ाव हुआ वह सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट घोटाला है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह सीधे तौर पर शामिल हैं। राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि मोदी व शाह को चुनाव नतीजों की असलियत मालूम थी, लेकिन मीडिया चैनलों पर झूठे एग्जिट पोल के सहारे शेयर बाजार घोटाले को अंजाम दिया गया। शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल से आम निवेशकों के 30 लाख करोड रुपए । प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और गृहमंत्री की भूमिका की संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से जांच कराई जाए । राहुल गांधी के राजनीतिक हमले का उत्तर देने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मैदान में आये और उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों में भारतीय निवेशकों ने कमाई की है और दस वर्षों में मार्केट कैप 67 लाख करोड से बढ़कर 415 लाख करोड़ हो गया है।
और यह भी
राजनीति के भी अपने निराले रंग होते हैं। इस बार लोकसभा में बीजू जनता दल और मायावती की अगुवाई वाली बसपा की मौजूदगी नहीं रहेगी। बीजू जनता दल की पिछली लोकसभा में 12 सीटें थीं, इस बार उनके खाते में एक भी सीट नहीं आई। लेकिन क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी की बल्ले-बल्ले हो गई और कांग्रेस के बाद वह इंडिया गठबंधन में 37 सीट पाकर दूसरे पायदान पर है, उसकी सीटों की संख्या में 32 की वृद्धि हुई है। लोकसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए चौंकाने वाले रहे क्योंकि उसके सहित किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। उत्तर प्रदेश में कभी दलितों की आवाज की पर्याय मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी की राज्य में पकड़ कमजोर हो गई है और वह चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई, उसका मत प्रतिशत 10 प्रतिशत से अधिक खोकर 9.39 प्रतिशत पर आकर टिक गया है। 2019 में उसने 10 सीटें जीती थीं और उसका मत प्रतिशत 19.43 था। बीजू जनता दल को विधानसभा चुनाव में भी 2009 के बाद पहली बार बहुमत नहीं मिला है। नवीन पटनायक जो 24 साल से उड़ीसा के मुख्यमंत्री थे उन्हें अब अपना पद छोड़ना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव में बीजद का वोट शेयर 2019 के वोट शेयर 43.32 प्रतिशत से गिरकर 37.53 प्रतिशत रह गया है। पिछले चुनाव में उसने 21 में से 12 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार उसका खाता भी नहीं खुला। इस बार लोकसभा-विधानसभा दोनों ही चुनाव में उसका आज तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। इसी प्रकार इस लोकसभा चुनाव में केसीआर की बीआरएस, दुष्यंत चौटाला की जेजेपी, एआईडीएमके और मेहबूबा मुफ्ती की पीडीपी भी अपना खाता खोलने में असफल रही।
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