नई दिल्ली । दुनिया में जानलेवा वायरस कोविड-19 का कहर अभी थमा नहीं और एक नई महामारी को लेकर आशंका ने परेशानी पैदा कर दी है। अब कोई भी वायरस सामने आता है तो उस पर तुरंत चर्चा शुरू हो जाती है। अब रोग यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक शोध में पाया है कि चैपरे वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह वायरस पहली बार वर्ष 2004 में बोलीविया के ग्रामीण इलाकों में पाया गया था जो इबोला वायरस जैसी ही बीमारी पैदा करता है। वायरस का नाम उसके पैदा होने की जगह के नाम पर पड़ा। फिर 2019 में चैपरे वायरस के सबसे ज्यादा केस सामने आए जब बोलीविया की राजधानी ला पाज में दो मरीजों से तीन स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो गए। बाद में दो स्वास्थ्यकर्मियों और एक मरीज की मौत हो गई। इससे पहले, एक दशक पहले बीमारी का पहला कन्फर्म केस चैपरे में पाया गया और एक छोटे से इलाके में कुछ लोग संक्रमित हो गए। दुनियाभर की सरकारें, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं। इस बीच अमेरिकी सीडीसी यह पड़ताल करने में जुटे हैं कि क्या चैपरे वायरस मानव जाति के लिए खतरा साबित हो सकता है।
बोलीविया में चैपरे एक प्रांत है जहां इस वायरस की उत्पत्ति हुई। इस कारण इसका नाम चैपरे वायरस पड़ा है। चैपरे वायरस एरीना वायरस फैमिली के कारण होने वाली बीमारी ही पैदा करता है। इसी तरह की बीमारी इबोला वायरस के कारण भी होती है। सीडीसी की वेबसाइट कहती है कि चैपरे वायरस की तरह ही एरीनावायरस भी चूहों के जरिए फैलता है और यह उसके सीधे संपर्क में आने से या फिर उसके मूत्र आदि से सटने से इंसानों में आ जाता है। फिर संक्रमित व्यक्ति अपने संपर्क में आने वाले अन्य लोगों को भी संक्रमित करता है। चैपरे से संक्रमित होने पर मरीज को बुखार आता है और खून निकलता है। यही समस्या इबोला वायरस से संक्रमित होने पर होती है। चैपरे से पेट दर्द की शिकायत, उल्टी, मसूढ़ों से खून निकले, आंखों के पीछे दर्द जैसी समस्याएं भी होती हैं। ध्यान रहे कि खून बहने के साथ बुखार आने पर मरीज की जान जा सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के मुकाबले चैपरे वायरस का पता लगाना ज्यादा कठिन है क्योंकि यह श्वसन तंत्र के जरिए एक-दूसरे में नहीं फैलता है। जब तक आप संक्रमित के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के संपर्क में नहीं आएंगे, तब तक आपमें चैपरे वायरस प्रवेश नहीं कर सकता है। ऐसे में इसके संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा स्वास्थ्यकर्मियों, परिवार के सदस्यों और सहकर्मियों पर होता है जो संक्रमित के सीधे संपर्क में आते हैं।