जस्टिन ट्रूडो को अमेरिका से भी नहीं मिल पाया समर्थन, भारत के साथ विवाद पर चुप हैं बाइडेन, जानें क्यों?
Updated on
07-10-2023 02:25 PM
ओटावा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत से पंगा लिया। लेकिन उम्मीद के मुताबिक उन्हें अपने पश्चिमी सहयोगियों से समर्थन नहीं मिला। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाने के बाद ट्रूडो वैश्विक मंच पर अलग-थलग हो गए हैं। लेकिन इस मामले में सबसे ज्यादा खामोशी उसके पड़ोसी से देखने को मिली है। कनाडा-भारत के विवाद में अमेरिका दूरी बनाए हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई भी बयान नहीं दिया है।
बाइडेन प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने इसे लेकर बयान तो दिए हैं, लेकिन वह कुछ भी सख्त बोलने से बचते रहे हैं। इससे साफ है कि अमेरिका खुद को इस पूरे विवाद से दूर रखने में लगा है। कुछ दिनों पहले बाइडेन ने सार्वजनिक रूप से भारत की बात की थी। लेकिन यह निंदा न होकर भारत की तारीफ थी। उन्होंने एक नया आर्थिक गलियारा स्थापित करने में मदद को लेकर भारत की प्रशंसा की थी। इसके अलावा भारत के उस फैसले पर भी अमेरिका चुप है, जिसमें उसने कनाडा को 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा है।
क्यों चुप हैं जो बाइडेन
जो बाइडेन भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने में लगे हैं। पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका चीजों को ऐसे ही चलने देना चाहता है और वह भारत से सहयोग की बात कर रहा है। वह भी तब जब यह बात जगजाहिर हो गई है कि अमेरिका की खुफिया जानकारी के आधार पर कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए हैं। विल्सन सेंटर के कनाडा इंस्टीट्यूट के निदेशक क्रिस्टोफर सैंड्स ने कहा कि अमेरिका इस मुद्दे के कारण भारत को खोना नहीं चाहता। अमेरिका का यह व्यवहार पश्चिम के बनाए अपने मानदंडों से अलग है।
कनाडा ने नहीं दिए सबूत
जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास भारत के खिलाफ सबूत हैं। लेकिन एक भी सबूत वह नहीं दे पाए हैं। बाइडेन प्रशासन लगातार कहता रहा है कि वह चाहता है कि दोनों देश आपस में इस मामले को संभालें। वाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के कोऑर्डिनेटर जॉन किर्बी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि दोनों देश संबंधों को लेकर आपस में बात करें।' पिछले सप्ताह अमेरिका गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह मुद्दा अमेरिका के एनएसए जेक सुलिवन और अपने समकक्ष एंटनी ब्लिंकन के साथ उठाया था।
भारत से संबंध खराब होने का डर
सैंड्स ने कहा कि अमेरिका फिलहाल सतर्क है, क्योंकि उसे उम्मीद है कि कनाडा अगर इस मुद्दे पर बोलता है तो वह गठबंधन में बड़े विभाजन से बच सकता है। उन्होंने कहा, 'कनाडा अपने आरोपों को बढ़ाएगा, लेकिन हम यह वृद्धि नहीं देखना पसंद करेंगे। हम चाहेंगे कि सहयोग का तरीका खोजा जाए।' अमेरिकी प्रशासन को डर है कि भारत और कनाडा के बीच का विवाद उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है, जो राष्ट्रपति बाइडेन बिल्कुल नहीं चाहते। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी अमेरिका के अधिकारियों को इस विवाद से बचने को कहा है।
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