अमेरिका की जासूसी के आरोपों में जेल में बंद विकीलीक्स के फाउंडर जूलियन असांजे मंगलवार (25 जून) को 5 साल बाद लंदन की जेल से रिहा हो गए। उन्होंने अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौते के तहत जासूसी की बात स्वीकार कर ली है।
US डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, 52 साल के असांजे ने अमेरिका के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत वे बुधवार को अमेरिका की साइपन कोर्ट में पेश होंगे। यहां वे अमेरिका के खुफिया दस्तावेजों को हासिल करने के लिए साजिश रचने के आरोप को स्वीकार करेंगे।
आरोप मानने के बाद असांजे को 62 महीने (5 साल 2 महीने) जेल की सजा सुनाई जाएगी, जो वे पहले ही पूरी कर चुके हैं। जूलियन अब तक ब्रिटिश जेल में 1901 दिन की सजा काट चुके हैं। अमेरिका से किए गए समझौते के बाद उन्हें ब्रिटेन की हाई-सिक्योरिटी जेल बेलमार्श से सोमवार को रिहा कर दिया गया। यहां से वे सीधे अपने देश ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो गए।
'जूलियन असांजे इज फ्री'
समझौता होने के बाद विकीलीक्स ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जुलियन असांजे की रिहाई की जानकारी दी। उन्होंने लिखा 'जूलियन असांजे इज फ्री।' वहीं जूलियन की पत्नी स्टेला ने कहा, "मैं सालों तक जूलियन का साथ देने वाले उनके समर्थकों का धन्यवाद करती हूं। हम उनके कितने शुक्रगुजार हैं, इसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। उनके सपोर्ट की वजह से ही आज जूलियन घर लौट रहे हैं।"
अमेरिका ने जासूसी के लगाए थे आरोप
ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे ने 2010-11 में हजारों क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स को सार्वजनिक कर दिया था। इसमें अफगानिस्तान और इराक युद्ध से जुड़े दस्तावेज भी थे। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया था। जिसमें रेप, टॉर्चर और सरेंडर कर चुके लोगों को मारने जैसे अपराध शामिल थे।
2010-11 में विकीलीक्स के खुलासे के बाद अमेरिका ने आरोप लगाया था कि जूलियन असांजे ने उनके देश की जासूसी की है। उसने सीक्रेट फाइल को पब्लिश कर दिया, जिससे कई लोगों का जीवन खतरे में आ गया था।
हालांकि, जूलियन असांजे ने हमेशा जासूसी के आरोपों से इनकार किया। बाद में असांजे पर यह भी आरोप लगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन से जुड़े ई-मेल हैक कर उन्हें विकीलीक्स को दिए थे। वे पिछले 13 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
गिरफ्तारी के डर से 7 साल तक इक्वाडोर दूतावास के बाहर कदम नहीं रख सके
असांजे को 2010 में स्वीडन की अपील पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप का आरोप लगाया था। असांजे ने इन आरोपों को उनके खिलाफ अमेरिका का षड्यंत्र बताया था। असांजे का आरोप था कि वे स्वीडन का इस्तेमाल कर उसे पकड़ना चाहते हैं इसलिए उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं।
स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए असांजे ने 2012 में लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी। इस तरह वे गिरफ्तारी से बच गए। वे 2012 से 2019 के बीच इक्वाडोर के दूतावास में ही रहे। 7 साल तक उन्होंने एक कदम एम्बेसी से बाहर नहीं रखा था।
11 अप्रैल 2019 को वे कोर्ट में पेश होने से चूक गए थे। बाद में इक्वाडोर की सरकार ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के लगातार उल्लंघन करना बताया गया था। 2019 में इक्वाडोर के दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटेन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
इसके बाद से वह लंदन की बेलमार्श जेल में बंद रहे। हालांकि, स्वीडन ने नवंबर 2019 में असांजे पर से रेप के आरोप वापस ले लिए थे, लेकिन इसके बावजूद वह जेल में ही रहे। अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। 23 मई 2019 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने असांजे के खिलाफ जासूसी के 18 केस दर्ज किए थे।
अमेरिकी 4 साल से लगातार असांजे को प्रत्यर्पित करना का केस लड़ रहा था। हालांकि, लंदन की कोर्ट ने असांजे की हेल्थ और दिमागी हालत का हवाला देकर प्रत्यर्पण की अर्जी खारिज कर दी थी। जूलियन असांजे विकीलीक्स की स्थापना से पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर और हैकर थे। उनके काम की वजह से 2008 में उन्हें इकोनॉमिस्ट फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और 2010 में सैम एडम्स अवॉर्ड दिया गया था।
भारत में मायावती को लेकर भी खुलासे किए...
2011 में विकीलीक्स ने मायावती को तानाशाह और भ्रष्ट बताया था। एक खुलासे में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की पूर्व CM ने अपनी पसंद की सैंडल मंगवाने के लिए अपने निजी प्लेन को मुंबई भेजा था। उनमें असुरक्षा की भावना इतनी है उनके भोजन करने से पहले उसे एक कर्मचारी चखता है। उनकी रसोई में खाना बनाने वाले नौ रसोइयों की निगरानी होती है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि घर से ऑफिस निकलने से पहले वे सड़क को धुलवाती हैं। इसके अलावा पिछले साल मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने 1976 में न्यूक्लियर डील से जुड़ी महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी अमेरिका को दी थी।