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चीन के बीआरआई से इटली ने यूं ही नहीं किया तौबा, ड्रैगन का यूरोप प्‍लान फेल, जिनपिंग का 'बड़ा अपमान'

Updated on 05-08-2023 02:20 PM
रोम: यूरोप का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले इटली ने चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट बेल्‍ट एंड रोड से पीछे हटने का ऐलान किया है। इटली के इस फैसले को चीन के लिए 'बहुत बड़े अपमान' के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, चीन ने प्‍लान बनाया था कि इटली को अपने पाले में लाकर यूरोप में घुसने का रास्‍ता साफ कर लिया जाए। चीन के इस प्‍लान को अब इटली ने फेल कर दिया है। व‍िशेषज्ञों का कहना है कि इटली का यह ऐलान यूरोप की सरकारों के चीन पर बढ़ती आर्थिक निर्भरता के प्रति चिंता को दर्शाता है। चीन के खोखले वादे के कारण अब इटली ने ड्रैगन के प्रति सख्‍ती बरतना शुरू कर दिया है।

अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक इटली ने जब बीआरआई पर हस्‍ताक्षर पर किया था तो इसे अमेरिका के खिलाफ चीन की बड़ी राजनीतिक जीत के रूप में देखा गया था। असल में चीन लंबे समय से यूरोप में अपने आर्थिक 'साम्राज्‍य' को बढ़ाना चाहता था। इसके लिए उसने बीआरआई के जरिए यूरोप में आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में जमकर पैसा भी लगाया। यूरोप की ज्‍यादातर बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं ने चीन के साल 2013 में शुरू हुए बीआरआई प्रॉजेक्‍ट पर हस्‍ताक्षर करने से इंकार कर दिया था।

'चीन के लिए बहुत बड़ा अपमान है इटली का फैसला'


साल 2019 में इटली ने अपने साथी यूरोपीय देशों से अलग रुख अपनाते हुए बीआरआई का हिस्‍सा बनने का ऐलान किया था। इटली ऐसा करने वाला जी7 का अकेला सदस्‍य देश था। अब इटली ने बीआरआई से हटने का ऐलान करके चीन के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। वह भी तब जब चीन बीआरआई के 10 साल पूरे होने का जश्‍न मना रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इटली का फैसला यह भी दर्शाता है कि यूरोप के नेता अब चीन से आर्थिक दूरी बनाने पर काम करने जा रहे हैं।

अमेरिका के स्टिमंसन सेंटर में चाइना प्रोग्राम के डायरेक्‍टर यून सून कहते हैं, 'यह चीन के लिए बहुत बड़े अपमान की तरह से है।' उन्‍होंने कहा क‍ि चीन दुनिया को यह दिखाता था कि उसके बीआरआई पर यूरोपीय देश ने भी हस्‍ताक्षर किया है और इसमें उसे गर्व की अनुभूति होती थी। सून ने कहा कि इटली का अब सार्वजनिक रूप से बीआरआई से हटने का ऐलान मैं समझता हूं कि चीनी इस फैसले को एक बड़े अपराध के रूप में लेंगे। चीन बीआरआई के जरिए दुनियाभर में अपना जहां प्रभाव बढ़ा रहा है, वहीं कई देश इससे कर्ज के महासंकट में चले गए हैं।

इटली के लिए बेकार निकला चीन का बीआरआई


श्रीलंका डिफॉल्‍ट हो गया है और पाकिस्‍तान पर यह खतरा मंडरा रहा है। इटली के अलावा यूरोपीय संघ के दो तिहाई सदस्‍य देश बीआरआई में शामिल हुए हैं जिसमें ज्‍यादातर पूर्वी इलाके के देश हैं। ये देश चीन के निवेश का फायदा उठाकर तेजी से विकास करना चाहते थे। इनमें से इटली भी एक देश था। अब 4 साल के बाद इन देशों को बीआरआई से जुड़कर कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। चीनी कंपनियां 2.8 अरब डॉलर के आधारभूत ढांचे से जुड़े प्रॉजेक्‍ट में निवेश को सहमत हुईं। इटली को लगा कि इससे तेजी से विकास होगा लेकिन वह दिन कभी नहीं आया। अब इटली को अपनी गलती का अहसास हो गया है और वह चीन के प्रति कठोर रवैया अपना रहा है। चीनी कंपनियों को इटली की कंपनियों के अधिग्रहण से रोक दिया गया है।


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