ईरान और इजराइल में चल रहे तनाव के बीच सोमवार( 22 अप्रैल ) को ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी पाकिस्तान पहुंचे। यहां उनका रेड कार्पेट के साथ स्वागत किया गया। उन्हें इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर हाउसिंग मिनिस्टर मियां रियाज हुसैन पीरजादा और ईरान में पाकिस्तान के राजदूत मुदस्सर टीपू ने रिसीव किया। यह किसी ईरानी राष्ट्रपति का 7 साल बाद पहला पाकिस्तान दौरा है।
इस दौरे में ईरानी राष्ट्रपति पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वे कई राज्यों के मुख्यमंत्री, बिजनेसमैन और कई अधिकारियों से भी मिलेंगे। इससे पहले जनवरी में दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हुई थी, जब दोनों ने एक दूसरे पर किए हमलों को 'आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई' बताया था।
पाकिस्तान से रिश्ते सुधारना चाहता है ईरान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरानी राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारना है। ईरान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच के मुताबिक ईरानी राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी , उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल और एक बिजनेस डेलिगेशन भी पाकिस्तान की यात्रा पर है।
यात्रा के दौरान दोनों पक्षों में व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के ऊपर बातचीत होगी। दोनों पक्षों के नेता आतंकवाद से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर भी चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय में लंच करेंगे रईसी
ईरान के राष्ट्रपति रईसी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में डिनर का आयोजन भी किया गया है। यहां सबसे पहले दोनों नेता अर्थ डे के मौके पर पेड़ लगाएंगे। ईरानी राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाएगा।
इसके बाद दोनों देशों के बीच डेलिगेशन लेवल बातचीत होगी, जिसमें कई क्षेत्रों के MOU साइन किए जाएंगे। राष्ट्रपति कार्यालय में भी ईरान के राष्ट्रपति रईसी के लिए भोज का आयोजन किया गया है।
रईसी कराची में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के मकबरे पर भी जाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। तीसरे दिन विदेशी नेता कराची में रहेंगे और बुधवार को तेहरान लौटेंगे। ईरानी राष्ट्रपति की हाई-प्रोफाइल यात्रा के कारण लोकल अधिकारियों को हाई अलर्ट पर हैं और 23 अप्रैल को कराची में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।
क्या अमेरिका के खिलाफ ईरान- पाकिस्तान का पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर मुहर लगेगी पाकिस्तान ईरानी राष्ट्रपति की मेजबानी करने के लिए बेहद उत्साहित हैं। इसके पीछे एक गैस पाइप लाइन डील की सबसे ज्यादा चर्चा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देश अमेरिका के विरोध के बावजूद डील आगे बढ़ा सकते हैं। दरअसल, ईरान और पाकिस्तान के बीच गैस पाइपलाइन को लेकर 2013 में एक एग्रीमेंट साइन हुआ था।
उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने ईरान में इसका उद्घाटन किया था। हालांकि, अमेरिका की आपत्ति के चलते नवाज शरीफ और इमरान खान की सरकारों के दौरान प्रोजेक्ट पर कुछ काम नहीं हुआ।
8 महीने पहले खबर आई थी कि अमेरिकी दबाव के चलते पाकिस्तान, ईरान के साथ गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट को छोड़ने वाला है। जबकि इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान को सस्ते दाम पर बिजली हासिल होने वाली थी। वॉयस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की गैस पाइपलाइन के जरिए पाकिस्तान को प्रति दिन 750 मिलियन क्यूबिक फीट की गैस मिलती।
पाकिस्तान ने इसे छोड़ने के लिए ईरान को एक नोटिस जारी कर दिया था। इसमें बताया गया है था कि पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट को तब तक आगे नहीं बढ़ा सकता है जब तक उस पर अमेरिका की पाबंंदियां लगी हैं।
2009 और 2010 में जब ईरान और पाकिस्तान ने गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट पर फ्रेमवर्क एग्रीमेंट साइन किया तो अमेरिका ने डिप्लोमेसी के तहत और सार्वजनिक तौर पर इस पर कड़ा विरोध जताया था।
पाकिस्तान को डेढ़ लाख करोड़ के जुर्माने का डर
ईरान से इस डील को लेकर अमेरिका की नाराजगी से बचने के लिए मार्च 2023 में पाकिस्तान ने एक डेलीगेशन वॉशिंगटन भेजा था। इसका मकसद अमेरिका से प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने के लिए छूट मांगना था। ताकि वो ईरान के चलते उन पर कोई पाबंदी न लगा दे। हालांकि, अमेरिका ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं दिया ।
लेकिन पिछले साल पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक़ काकड़ की अंतरिम सरकार ने प्रोजेक्ट के एक हिस्से को मंजूरी दे दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान को भी डर है कि ईरान समझौते का उल्लंघन करने पर मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जा सकता है,जिससे पाकिस्तान पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर का जुर्माने लग सकता है।
इसी कारण पाकिस्तान 80 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन बिछाना चाहता है। लेकिन अमेरिका के दवाबों के कारण उसे झुकना पड़ रहा है। BBC के मुताबिक ईरान के राष्ट्रपति पाकिस्तान की यात्रा के जरिए दुनिया को मैसेज देना चाहते हैं कि दोनों देशों के संबंध अच्छे हैं।