Select Date:

भारत का दोस्त संकट में, दुश्मन से हार गया बड़ा इलाका, लेकिन पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले क्यों

Updated on 29-09-2023 01:07 PM
येरवेन: भारत का एक करीबी दोस्त देश इस वक्त मुश्किलों में है। यह देश अपने दुश्मन के हाथों लगभग 4403 वर्ग किलोमीटर का इलाका हार चुका है। इस इलाके में रहने वाले लोग अपने घरों को छोड़कर जा रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर वे रुके को दुश्मन की सेना उनका नरसंहार कर सकती है। भारत के इस दोस्त का दुश्मन पाकिस्तान का करीबी मित्र है। इस देश का नाम आर्मेनिया है। आर्मेनिया लंबे समय से अपने पड़ोसी देश अजरबैजान की आक्रामकता का सामना कर रहा है। हाल में ही अजरबैजान ने आर्मेनिया के कब्जे वाले नागोर्नो-काराबाख पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में कर लिया है। नागोर्नो-काराबाख में आर्मेनियाई मूल के लोगों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में ये लोग अपने घर-बार छोड़कर आर्मेनिया में शरण लेने जा रहे हैं। इससे आर्मेनिया में एक शरणार्थी संकट पैदा हो गया है। ऐसे में जानें कि आर्मेनिया की हार का भारत के साथ कैसे संबंध जोड़ा जा रहा है।

आर्मेनिया की हार का पाकिस्तान से क्या संबंध

आर्मेनिया दक्षिण काकेशस में एक ईसाई-बहुल राष्ट्र है। यह भारत का एक सहयोगी देश है, जो अभी तक अपनी सुरक्षा के लिए रूस पर निर्भर था। हाल में ही आर्मेनिया ने भारत से पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर समेत टीसी-40 होवित्जर की खरीद की है। भारत ने आर्मेनिया को राजनयिक समर्थन भी दिया है। क्योंकि, आर्मेनिया की दुश्मनी जिस अजरबैजान से है, वो पाकिस्तान का करीबी देश है। अजरबैजान कश्मीर मुद्दे पर भी पाकिस्तान का साथ देता है। ऐसे में आर्मेनिया की हार का संबंध भारत के साथ जोड़ा जा रहा है। अजरबैजान ने जिस नागोर्नो-काराबाख पर कब्जा जमाया है, वहां बहुसंख्यक अर्मेनियाई ईसाई आबादी रहती है। हालांकि, यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है। अजरबैजान एक तुर्क मुस्लिम बहुल देश है।

अजरबैजान कैसे बना शक्तिशाली राष्ट्र


नागोर्नो-काराबाख के लोगों ने 1980 के दशक में आर्मेनिया में शामिल होने के लिए मतदान किया, जिससे अजरबैजान के साथ संघर्ष छिड़ गया। आर्मेनिया ने 1990 के दशक में एक युद्ध जीता जिसने जातीय अर्मेनियाई अलगाववादियों को नागोर्नो-काराबाख और आस-पास के क्षेत्रों पर नियंत्रण करने की अनुमति दे दी। लेकिन अजरबैजान ने बाजी पलट दी है। अजरबैजान हमेशा से एक शक्तिशाली राष्ट्र नहीं था। पिछले कुछ दशक में तेल और गैस निर्यात के कारण इस देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। तुर्की और इजराइल की मदद से अजरबैजान ने अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण किया है। 2020 में, इसने आर्मेनिया के खिलाफ युद्ध शुरू किया और 90 के दशक में खोए हुए अधिकांश क्षेत्रों को फिर से जीत लिया।

आर्मेनिया में विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं


इस महीने अज़रबैजान ने एक और छोटा आक्रमण शुरू किया। इस हमले का आर्मीनिया की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। इस कारण जातीय अर्मेनियाई लोग अकेले पड़ गए और उनके द्वारा नियंत्रित नागोर्नो-काराबाख की सरकार अपनी सेना को भंग करने पर सहमत हो गई। अब हजारों जातीय अर्मेनियाई शरणार्थी के रूप में जा रहे हैं। मदद के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर सरकार के खिलाफ आर्मेनिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। लोगों ने आर्मेनिया की सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

भारत के लिए क्यों मायने रखती है यह जंग?

भारत के लिए बड़ी समस्या यह है कि अजरबैजान को पाकिस्तान और तुर्की का समर्थन मिल रहा है। वास्तव में, तुर्की के बेकरटार ड्रोन को एक प्रमुख कारण माना जाता है कि अजरबैजान ने आर्मेनिया पर 2020 में जीत हासिल की। तुर्की और अज़रबैजान घनिष्ठ राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं। पाकिस्तान ने अजरबैजान को हथियार भी बेचे हैं और राजनयिक समर्थन भी दिया है। इन देशों ने 2021 में "थ्री ब्रदर्स" रक्षा अभ्यास शुरू किया था। ये तीनों देश कश्मीर पर साझा रुख रखते हैं। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने 2019 में भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने की निंदा करते हुए तीखी टिप्पणियां की थी। ऐसे में भारत-तुर्की संबंध भी प्रभावित हुआ है। अज़रबैजान ने भी कई मौकों पर कहा है कि वह कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता है

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 14 May 2025
वॉशिंगटन: भारत ने उन तमाम रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में संवेदनशील परमाणु स्थलों पर बमबारी की गई थी। लेकिन…
 14 May 2025
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत के ऑपरेशन सिन्दूर में पाकिस्तान में कितनी तबाही मचाई है, उसकी रिपोर्ट अब आ गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के हमलों में पाकिस्तान के…
 14 May 2025
बीजिंग/नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान की मदद करने वाले चीन के खिलाफ पहला बड़ा एक्शन लिया है। भारत सरकार ने प्रोपेगेंडा फैलाने वाले ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ न्यूज के सोशल मीडिया…
 14 May 2025
येरेवान: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाने वाला आकाश एयर डिफेंस सिस्‍टम से अब पाकिस्‍तान और तुर्की के जिगरी दोस्‍त अजरबैजान की नींद उड़ गई है। नगर्नो…
 14 May 2025
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक हिंदू लड़की ने इतिहास रच दिया है। 25 साल की कशिश चौधरी को सहायक आयुक्त (असिस्टेंट कमिश्नर) के पद पर नियुक्त किया है। वह इस…
 14 May 2025
वॉशिंगटन/नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में कितनी तबाही मचाई और भारत का मिशन कितना कामयाब रहा है, धीरे धीरे इसको लेकर इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स एनालिसिस करने लगे हैं। पाकिस्तान ने सीजफायर के बाद…
 14 May 2025
वॉशिंगटन: वाइट हाउस कवर करने वाले पाकिस्तान के पत्रकार की कोशिश हर वक्त अमेरिका से भारत के खिलाफ बयान दिलवाने की होती है। पाकिस्तानी पत्रकार शायद ही कभी पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों…
 14 May 2025
रियाद: अमेरिका और खाड़ी के प्रमुख मुस्लिम देश सऊदी अरब के बीच इतिहास का सबसे बड़ा हथियार सौदा हुआ है। इसके तहत अमेरिका सऊदी अरब को 124 अरब डॉलर के हथियार…
 14 May 2025
अंकारा/नई दिल्ली: पाकिस्तान के मददगारों के खिलाफ भारत ने कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दो भोंपू ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ न्यूज के सोशल मीडिया अकाउंट्स के बाद अब टीआरटी…
Advertisement