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मालदीव से 10 मई तक सैनिक निकालेगा भारत दिल्ली में हुई बातचीत के बाद फैसला पहला चरण 10 मार्च तक पूरा होगा

Updated on 03-02-2024 12:28 PM

मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को निकालने के मसले पर भारत और मालदीव के बीच दूसरे दौर की बातचीत शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई। न्यूज एजेंसी PTI ने मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री के हवाले से कहा- मालदीव में मौजूद सभी भारतीय सैनिक 10 मई 2024 तक वापस भारत लौट आएंगे। इसका पहला चरण 10 मार्च तक पूरा हो जाएगा।

मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री के बयान के कुछ घंटे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- दोनों देश इस बात पर राजी हुए कि इस मसले का हल दोनों देश मिलकर निकालेंगे। बातचीत का तीसरा दौर मालदीव की राजधानी माले में होगा। इसकी तारीख फिलहाल तय नहीं है।

भारत के 80 सैनिक मालदीव में मौजूद हैं। ये नॉन मिलिट्री ऑपरेशन्स में वहां की सेना की मदद करते हैं। मालदीव के चीन परस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु चाहते हैं कि भारत अपने सैनिकों को उनके देश से वापस बुला ले। इसके लिए उन्होंने 15 मार्च 2024 डेडलाइन दी है।

मालदीव में 3 एविएशन प्लेटफॉर्म

मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री के मुताबिक- हमारे देश में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं। इसमें से एक पर मौजूद सैनिक 10 मार्च तक भारत लौटेंगे। इसके बाद दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे।

शुक्रवार को मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने देर रात बयान जारी किया। कहा- दोनों देश ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए साथ काम करने पर सहमति जताई है। इसके तहत यह व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की जाएगी कि मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहें।

बयान के मुताबिक- इस बात पर भी सहमति बनी कि मीटिंग में शामिल हाईलेवल कोर ग्रुप की तीसरी मीटिंग माले में हो। इसके लिए दोनों देश मिलकर एक तारीख तय करेंगे। नई दिल्ली में हुई मीटिंग में दोनों देशों के बीच सहयोग के कई मुद्दों पर भी बातचीत हुई। इसमें वो प्रोजेक्ट शामिल हैं जो मालदीव के लोगों के लिए भारत सरकार चला रही है।

बातचीत के लिए कोर ग्रुप

भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे को हल करने के लिए दोनों देशों ने कोर ग्रुप बनाया है। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि दो हफ्ते पहले मालदीव की राजधानी माले में इस मुद्दे पर पहले दौर की बातचीत हुई थी। तब कोई हल नहीं निकला था। दिल्ली में दूसरे दौर की बातचीत हई। तीसरा दौर माले में होगा।

सूत्रों ने कहा- दोनों देशों की कोशिश है कि हल ऐसा निकाला जाए जो दोनों पक्षों को कबूल हो। दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के बीच दुबई में क्लाइमेट समिट के दौरान बातचीत हुई थी। तब यह तय हुआ था कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी का मुद्दा हल करने के लिए कोर ग्रुप बनाया जाएगा।

मुइज्जु ने पिछले साल इलेक्शन कैम्पेन के दौरान मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी का मुद्दा उठाया था और इनकी वापसी की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने इंडिया आउट कैम्पेन चलाया था।

मालदीव में 80 भारतीय सैनिक

मालदीव में करीब 80 भारतीय सैनिक हैं। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेसक्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मुइज्जु नवंबर 2023 में प्रेसिडेंट बने और तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है।

45 साल के मुइज्जु ने चुनाव में भारत समर्थक मोहम्मद सोलिह को हराया था। मुइज्जु अपनी पहली स्टेट विजिट पर चीन गए थे। इसके पहले मालदीव का हर प्रेसिडेंट पहला दौरा भारत का ही करता आया था।

मुइज्जु ने कहा था- मालदीव में सेना की मौजूदगी हमारी लोकतांत्रिक आजादी का अपमान

पिछले महीने मुइज्जु ने कहा था कि अगर भारत अपनी सेना को नहीं हटाएगा तो यह मालदीव के लोगों की लोकतांत्रिक आजादी का अपमान होगा। यह मालदीव में लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा होगा। मीडिया हाउस टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति मुइज्जु ने भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई थी।

उन्होंने कहा था कि ये आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित है। मुइज्जू ने भरोसा जताया कि मालदीव से भारत की सैन्य उपस्थिति के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में बिना संसद की इजाजत के दूसरे देश की सेना की उपस्थिति संविधान के खिलाफ है।

मालदीव के विकास और क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका और इंडिया फर्स्ट पॉलिसी पर राष्ट्रपति मुइज्जु ने कहा था- भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है। वो हमारे खास दोस्तों में से एक है। दोनों देशों में ऐतिहासिक तौर पर बहुत सी समानताएं रही हैं। ट्रेड, टूरिज्म और कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में हमारे रिश्ते तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 2023 में भारत से मालदीव में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आए।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चीन समर्थक कहे जाने पर मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा था- हम किसी भी देश के समर्थक या उसके विद्रोह में नहीं हैं। मेरी सरकार सिर्फ मालदीव के लोगों के पक्ष में है। जो भी नीतियां मालदीव के लोगों के पक्ष में होगी, हम उन पर अमल करेंगे। हमारा मकसद देश की आर्थिक स्थिति को और बेहतर करना है, जिससे हम हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने में बेहतर भूमिका निभा सकें।



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