भारत ने चांद पर उतारा चंद्रयान-3 तो ललचाया चीन, जहर उगलने वाला ग्लोबल टाइम्स भी पुचकार रहा
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25-08-2023 01:35 PM
बीजिंग: भारत के खिलाफ जगह उगलने वाला ग्लोबल टाइम्स के सुर अचानक मीठे हो गए हैं। वह भारत के साथ ब्रिक्स और एससीओ के तहत चंद्र मिशन को लेकर सहयोग के सपने देख रहा है। ग्लोबल टाइम्स के रुख में यह बदलाव चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक भारत के चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद आया है। चीन भले ही चंद्रमा पर अपना लैंडर उतार चुका है, लेकिन वह भी दक्षिणी ध्रुव पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने लैंडर को उतारने में कामयाब रहा है। इसके बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभाव वाले ग्लोबल टाइम्स ने भारत के इस कामयाबी की जमकर प्रशंसा की है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत और चीन ब्रिक्स और एससीओ के तहत चंद्र अन्वेषण या मून एक्सप्लोरेशन में सहयोग को बढ़ा सकते हैं।
अंतरिक्ष में भारत का साथ चाहता है चीन
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीनी विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष में विकासशील देशों के बढ़ते महत्व को दर्शाते हुए इस उपलब्धि की सराहना की है। उन्होंने भारत से वैज्ञानिक उन्नति की खोज में भू-राजनीतिक योजनाओं को शामिल करने का त्याग करने का आह्वान किया। भू-राजनीतिक योजनाओं से ग्लोबल टाइम्स का इशारा चीन विरोधी देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग से है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि विज्ञान की भावना राष्ट्रीय सीमाओं से परे है, इसलिए अंतरिक्ष मिशन को दुनियाभर के देशों के सहयोग से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
भारत के साथ अंतरिक्ष में कैसा सहयोग चाहता है चीन
चीन के इस मुखपत्र ने आगे लिखा कि भारत की इस सहायता पर चीनी विशेषज्ञों ने खुशी व्यक्त की और कहा कि दोनों देश उभरती हुई अर्थव्यवस्था हैं। दोनों ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन के भी सदस्य हैं। दोनों पक्षों के बीच गहरे अंतरिक्ष में सहयोग की व्यापक गुंजाइश है। अंतरिक्ष खोज और मानवयुक्त मिशन के लिए डेटा साझा करना, अनुभव बांटना और अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग पर दोनों देश साथ काम कर सकते हैं।
विज्ञान को लेकर दे रहा दिव्य 'ज्ञान'
इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक हू शिशेंग ने चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस में कहा कि विज्ञान की भावना राष्ट्रीय सीमाओं को पार करती है, क्योंकि यह अंत में पूरी मानवता की भलाई और प्रगति के लिए इस्तेमाल होती है। हम ऐसे कार्यक्रम में हर प्रयास की सराहना करते हैं, चाहें वह सफल हो या नहीं। चंद्रमा पर उतरना एक चुनौतीपूर्ण प्रयास है। कुछ ही दिन पहले, रूस का लूना-25 यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सितंबर 2019 में चंद्र लैंडिंग का भारत का पहला प्रयास भी विफल रहा।
दक्षिणी ध्रुव पर चीन की भी है नजर
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए काफी हद तक अज्ञात क्षेत्र बना हुआ है, क्योंकि माना जाता है कि इसमें बड़ी मात्रा में पानी की बर्फ मौजूद है। अगर इसकी आसानी से खोज कर ली जाती है तो भविष्य के क्रू मिशनों के लिए रॉकेट ईंधन और जीवन के लिए खनन किया जा सकता है। चीन भी इस क्षेत्र पर नज़र रख रहा है क्योंकि वह अपनी चंद्र अन्वेषण परियोजना को आगे बढ़ा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य डिजाइनर के अनुसार, चांग'ई-7 मिशन का लक्ष्य 2026 के आसपास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना और पानी के निशान तलाशने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण करना है।
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