पुतिन के खिलाफ वैगनर के बगावत की आग में झुलस सकता था भारत! जानें क्यों विशेषज्ञ रूस पर दे रहे वॉर्निंग
Updated on
28-06-2023 07:40 PM
मॉस्को: वैगनर के नेता येवेगनी प्रिगोझिन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ जैसे ही विद्रोह छेड़ा, भारत में भी विदेश मामलों के जानकार टेंशन में आ गए थे। वैगनर प्राइवेट आर्मी ने जैसे ही रोस्तोव शहर पर कब्जा किया तो ऐसा लगने लगा कि अब शायद पुतिन के शासन पर भी फुलस्टॉप लग जाएगा। प्रिगोझिन की अगुवाई में वैगनर सैनिक काफी तेजी से मॉस्को की तरफ बढ़ रहे थे। शाम होते-होते सबकुछ शांत तो हो गया लेकिन इन स्थितियों ने भारत को थोड़ी देर के लिए टेंशन में डाल दिया था। रूस इस समय भारत को तेल आयात करने के लिहाज से नंबर वन देश है।
टॉप ऑयल सप्लायर बना रूस यूक्रेन जंग के बाद भारत ने रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदा है। इस वजह से जहां दुनिया में तेल और गैस के दाम आसमान छूने लगे, भारत में स्थिति नियंत्रण में रहीं। वैगनर विद्रोह के बाद विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि अगर रूस में अब ऐसा कुछ भी हुआ तो भारत के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं। रूस इस साल भारत के लिए कच्चे तेल के टॉप सप्लायर के तौर पर उभरा है। भारत ने रूस से करीब 800,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तेल आयात किया। रेटिंग एजेंसी फिच ने भविष्यवाणी की है कि भारत को होने वाला रूसी तेल का निर्यात जल्द ही प्रति दिन दस लाख बैरल तक बढ़ सकता है।
एजेंसी स्पूतनिक ने एक एनर्जी एक्सपर्ट के हवाले से लिखा है कि अगर ऐसी किसी घटना की वजह से भारत को होने वाली तेल सप्लाई पर असर पड़ा तो फिर भारत को परेशान होने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय स्तर तेल अर्थशास्त्री के तौर पर ख्याति हासिल करने वाले डॉक्टर ममदौह जी सलामेह ने कहा कि पिछले दिनों वैगनर विद्रोह का असर भारत के बाजार पर खास नहीं हुआ क्योंकि प्रिगोझिन की तख्तापलट की कोशिशें असफल हो गई थीं।
भारत के साथ जुड़ी दो चिंताएं
उन्होंने कहा, 'पहली चिंता वैगनर की चुनौती के बाद भारत को होने वाले रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति पर आने वाली बाधा के बारे में हैं जिसे आखिर में टाल दिया गया। दूसरी चिंता यह है कि अगर ऐसी घटना फिर होती है तो उसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी। इसकी वजह से भारत के चालू खाते के घाटे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कच्चे तेल का देश के आयात बिल में महत्वपूर्ण हिस्सा है।' हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रूस में हाल की घटनाओं का रूसी ऊर्जा या तेल निर्यात पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनका कहना था कि राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में और यूक्रेन के साथ मोर्चे पर रूस में स्थिति ठोस और स्थिर है।
रूस पर बढ़ी भारत की निर्भरता
रूस पर कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञ इस बात को लेकर अब आगाह कर रहे हैं। भारत की तरफ से कहा गया है कि पिछले साल से कीमतों में वैश्विक अस्थिरता के बीच रूस से कच्चे तेल का आयात उसकी महंगाई को मैनेज करने की रणनीति का हिस्सा है। वहीं सलामेह कहते हैं कि भारत अपनी कुल जरूरतों का करीब आधा हिस्सा रूस की सप्लाई से पूरा करता है। आयात इस हद तक बढ़ गया है कि रूस ने सऊदी अरब और इराक जैसे भारत के पारंपरिक ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं को भी पीछे छोड़ दिया है। सलामेह के मुताबिक रूसी कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है। यह आयात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। यही वजह है रूसी तेल आपूर्ति में अगर कोई भी बाधा आई तो फिर भारत के लिए बड़ी चिंता की बात होगी।
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