आमदनी अठन्नी, कर्जा रुपया... कैसे होगा अनिल अंबानी की इस कंपनी का बेड़ापार
Updated on
10-07-2024 02:03 PM
नई दिल्ली: भारी कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) ने दिल्ली हाई कोर्ट के 6 मार्च के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से अपनी अपील वापस ले ली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कंपनी को 135.32 मिलियन डॉलर की अपनी एसेट्स को बेचने, अलग करने या ट्रांसफर करने से रोक दिया गया था। चीन की कंपनी शंघाई इलेक्ट्रिक ग्रुप कंपनी लिमिटेड ने आरइन्फ्रा के खिलाफ आर्बिट्रेशन अवॉर्ड जीता था। यह मामला इस अवॉर्ड को लागू किए जाने से जुड़ा है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने विशेष अनुमति याचिका वापस लेने के लिए अदालत से अनुमति मांगी है। विशेष अनुमति याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 जुलाई, 2022 ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 9 के तहत चीनी कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 6 मार्च को इस फैसले को खारिज करते हुए आरइन्फ्रा को 135.32 मिलियन डॉलर एसेट्स किसी भी तीसरे पक्ष को बेचने से रोक दिया था। चीन की कंपनी ने आरइन्फ्रा से अवॉर्ड की लगभग 1,100 करोड़ रुपये की रकम वसूलने के लिए हाई कोर्ट में अपील की थी। मध्यस्थता पंचाट ने अंबानी की कंपनी को शंघाई इलेक्ट्रिक को बकाये और हर्जाने के रूप में लगभग $146 मिलियन का भुगतान करने को कहा था।
क्या है मामला
जून 2008 में, शंघाई इलेक्ट्रिक और आरइन्फ्रा प्रोजेक्ट्स की सहायक कंपनी रिलायंस इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स (यूके) ने उपकरण आपूर्ति और सेवा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अनुबंध की शर्तों के अनुसार, रिलायंस यूके को चीनी फर्म को 9,461 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। रिलायंस यूके की मूल कंपनी होने के नाते आरइन्फ्रा ने रिलायंस यूके के लिए गारंटी दी थी। अनुबंध के तहत 2019 तक 995 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था। आरइन्फ्रा को गारंटी पत्र के अनुसार नोटिस करके 60 दिनों के भीतर भुगतान करने को कहा गया। लेकिन कंपनी नोटिस का पालन नहीं किया और चीनी कंपनी ने उसे मध्यस्थता पंचाट में घसीट लिया।
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