मोदी ने लगाई हैट्रिक तो इन शेयरों में आ सकता है उछाल, 4 जून से पहले निवेश पर हो सकते हैं मालामाल
Updated on
03-06-2024 02:40 PM
नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के नतीजे चार जून को आएंगे। बाजार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद कर रहा है। ऐसे में निवेशकों की नजर उन शेयरों पर है जिन्हें बीजेपी के सत्ता में बने रहने पर फायदा मिलने की संभावना है। इन्वेस्टर्स इसी हिसाब से अपने पोर्टफोलियो को ढालने में लगे हैं। बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में जो वादे किए हैं, उनके मुताबिक सरकार का जोर कैपिटल एक्सपेंडीचर पर रहेगा। यानी बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों को फायदा मिलेगा। इनमें उद्योग, कैपिटल गुड्स, यूटिलिटीज, डिफेंस, सीमेंट और रियल एस्टेट आदि को लाभ होगा। यहां हम पांच ऐसे सेक्टर्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें मोदी सरकार के बने रहने से सबसे ज्यादा फायदा होगा।
जेएम फाइनेंशियल के विनय जयसिंह ने कहा कि बीजेपी के घोषणापत्र में अन्य बातों के अलावा देश के बुनियादी ढांचे में सुधार, सस्टेनेबल शहरों का विकास और मेक इन इंडिया पर जोर दिया गया है। साथ ही रेलवे, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर, परमाणु, पवन ऊर्जा, एविएशन, डिफेंस और सेमीकंडक्टर से जुड़े उद्योगों में पीएलआई पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है। अगर मोदी सरकार फिर से पावर में आती है तो इससे देश में कैपेक्स को बल मिल सकता है। चुनावों से पहले फोकस में रहने वाले 5 क्षेत्र इस प्रकार हैं:
1- पावर
दो महीने पहले, बिजली मंत्रालय ने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान का मसौदा जारी किया था। इस योजना में 2022 से 2027 तक भारत के ट्रांसमिशन सिस्टम को उन्नत करने के लिए लगभग 4.75 लाख करोड़ रुपये के निवेश की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें नई लाइनें, सबस्टेशन और अन्य तकनीकें शामिल हैं। 2032 तक भारत का लक्ष्य वर्तमान 426 गीगावाट से बढ़कर लगभग 900 गीगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करना है। कैपिटलमाइंड में स्मॉलकेस मैनेजर और सीनियर रिसर्च एनालिस्ट कृष्णा अप्पाला ने कहा कि पावर यूटिलिटी कंपनियों को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश के रूप में देखा जाता है। अकेले ग्रीन एनर्जी सेक्टर में में ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। विंडमिल कैपिटल के स्मॉलकेस मैनेजर और सीनियर डायरेक्टर नवीन केआर ने कहा कि इस सरकार के पास ऊर्जा को लेकर बड़ी योजनाएं हैं। अगर सरकार लौटती है तो यह क्षेत्र और आगे बढ़ सकता है।
2- इन्फ्रास्ट्रक्चर
अगर बीजेपी सत्ता में लौटती है, तो इन्फ्रा और कैपिटल एक्सपेंडीचर जारी रहने की उम्मीद है। बर्नस्टीन के वेणुगोपाल गैरे ने कहा कि ऐसी स्थिति में देश में बुलेट ट्रेन, हाइवेज या वॉटरवेज की और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की घोषणा की जा सकती है।
3- टूरिज्म
कैपिटलमाइंड के अप्पाला ने कहा कि भारत का हॉस्पिटैलिटी सेक्टर अगले 3-5 साल में ग्रोथ के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अभी हर कमरे का एवरेज रेट लगभग ₹6900 है, जो कोविड-पूर्व स्तरों से ऊपर है। लेकिन यह वित्त वर्ष 2007 में पहुंचे 7,500 रुपये के स्तर से नीचे है। ऑक्युपेंसी रेट्स में भी सुधार हुआ है, जो 2007 में 71% की तुलना में वर्तमान में 66% है। रेवेन्यू पर एवलेबल रूम वित्त वर्ष 2007 में अपने चरम लगभग 5,500 रुपये था जो अभी ₹4540 है।
4- रियल्टी
भारत में हाउसिंग और रेजिडेंशियल साइकल कोविड-19 के बाद दबी हुई मांग और पूंजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि जैसी सहायक सरकारी नीतियों के कारण मजबूत अपट्रेंड पर है। जानकारों का कहना है कि यह उछाल उस सीमा तक है जहां आवास सूची 12 साल के निचले स्तर पर है और मांग आपूर्ति से आगे निकल रही है। 2023 में हाउसिंग का वॉल्यूम 25% बढ़ा जो 3 साल में लगभग दोगुना है। अगर चुनाव नतीजों में कोई चौंकाने वाली बात सामने नहीं आता है तो रियल्टी क्षेत्र में जोरदार उछाल देखने को मिल सकता है।
5- इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ESDM)
अगले पांच वर्षों में भारतीय ईएसडीएम बाजार के 34% बढ़कर वर्तमान 25 अरब डॉलर से बढ़कर लगभग 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अप्पाला ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन दे रही है। यदि भारत निर्यात से अधिक आयात करता है, तो इससे चालू खाता घाटा प्रभावित होता है। सरकार सीएडी को मैनेज करना चाहती है। भारत के इम्पोर्ट बिल में कच्चे तेल की 29%, सोने की 10.8%, और इलेक्ट्रॉनिक्स की 9.7% हिस्सेदारी है। तेल और सोने के आयात पर अंकुश लगाना मुश्किल है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स में भारत के पास मौका है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने ईएसडीएम क्षेत्र के लिए 76,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन और पीएलआई और डीएलआई अनुदान की शुरुआत की है।
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