नई दिल्ली । महाराष्ट्र और देश के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने अपने उस पुराने लेटर को लेकर स्पष्टीकरण दिया जो उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए लिखा था। पवार ने कहा है, 'मैंने कहा था एपीएमसी में सुधार की जरूरत है। एपीएमसी एक्ट जारी रहना चाहिए लेकिन कुछ सुधारों के साथ। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैंने पत्र लिखा था लेकिन उनके तीन कानूनों में एपीएमसी का भी जिक्र नहीं है। वे केवल लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, इसे ज्यादा महत्व देने की जरूरत नहीं है।'
पवार ने कहा, 'कल विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के पांच-छह लोग साथ बैठे और सामूहिक रुख के बारे में विचार करेंगे। हमारा शाम पांच बजे राष्ट्रपति से मिलने का कार्यक्रम है। हम अपना सामूहिक रुख उनके सामने रखेंगे।'
ज्ञात रहे कि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को किसानों से जुड़े मामले में गैर बीजेपी दलों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कि किसान आंदोलन के नेताओँ ने साफ कहा है कि सियासी दलों के नेता हमारे मंच पर न आएं। लेकिन ये इसके बावजूद ये कूद रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा था, 'आज जो हमारी सरकार ने किया, यूपीए के दस साल में ये लोग यही कर रहे थे। अपने राज्यों में कर रहे थे। मैं डॉक्यूमेंट्स दिखाकर यह साबित कर सकता हूं। कांग्रेस ने वर्ष 2019 के अपने लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र के पेज नंबर 17 के प्वाइंट 11 में कहा था कि Congress will repeal APMC act and will make inter state trade free of restrictions. यानी कांग्रेस APMC को हटाएगी और इंटर स्टेट व्यापार को फ्री करने का काम करेगी।'
प्रसाद ने कहा था ' एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी अभी विरोध कर रहे हैं। लेकिन जब वे कृषि मंत्री थे तो उन्होंने सारे सीएम को चिट्ठी लिखी थी। दो चिट्ठी दिखा रहा हूं, एक शीला दीक्षित को लिखी, दूसरी शिवराज सिंह चौहान को लिखी। इसमें लिखा है कि कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर निवेश चाहिए, इसके लिए निजी निवेश जरूरी है। इसमें मंडी कानून में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया था।'